"क़ुरआन की आलोचना": अवतरणों में अंतर

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कुरान मतलब अल्लाह का कलाम (बात) जो रसुल्लाह सल्लाहूअलैवसल्लम के सीन ए मुबारक पर उतरा। जो सारे कायनात और इसके सारे वासियों के लिए अमन वा शांति का शंदेस था लेकिन आप के विशाल के बाद इस कलाम को एक किताब की शक्ल दे दिया गया।
 
== आलोचना ==
== गैर मुस्लिमों के लिए हिंसक ==
क़ुरान एक सामाजिक किताब हे मुसलमान क़ुरान के हिसाब से जीवन जीते हे पर इसके कुछ तथ्य आज बिलकुल प्रामाणिक नही हे
कुरान कई स्थानों (कम से कम 149) पर गैरमुस्लिमों के लिए हिंसक आदेश देता है उदाहरनार्थ :
 
१. क़ुरान मुस्लिम को बैंकिंग की सुविधा से वंचित कर देते हें क़ुरान के कुछ नियमो के वजह से मुस्लिम बैंकिंग का इस्तेमाल करने से कतराते हें
* "जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो 'मूर्तिपूजकों को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और गिरफ्तार करोऔर उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे 'तौबा' कर लें 'नमाज' पढने लगे और, जकात दें (इस्लाम कुबूल कर लें) तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह (हर मुसलमान पर) बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।<nowiki>''</nowiki> (सूरा. 9, आयत 5)
* <nowiki>''हे 'ईमान' लाने वालो 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।''</nowiki> (9.28)
* <nowiki>''निःसंदेह 'काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।''</nowiki> (4.101)
* <nowiki>''</nowiki>हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।<nowiki>''</nowiki> (9.123)
* जिन लोगों ने हमारी <nowiki>''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं''</nowiki> (4.46)
* <nowiki>''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता''</nowiki> (१०.९.३७ पृ. ३७४)
अगर इस्लाम शांति फैलाता और कुरान शांति का संदेश देता ,तो लोग कुरान पढ़ के आतंकवादी कैसे बनते हैं।
 
२. आज कल फैले आतंकवाद में भी लोग क़ुरान को ग़लत कहते हें
इस्लाम में शराब पीना हराम है ,लेकिन मौलाना बताते हैं कि जन्नत में अल्लाह अपने हाथों से शराब पिलाते हैं। भाई जब शराब हराम है तो अल्लाह पिलाता क्यों है।
 
कुछ कट्टरपन्थी क़ुरान की ग़लत व्याख्या कर मुस्लिम युवको को आतंकवाद की ओर आसानी से धकेल देते हें
कहा जाता है कि काफिरों का क़त्ल करो। अगर उस रास्ते में तुम्हारे जाते हो तो तुम्हें जन्नत मिलेगी ।और 72 हुरे मिलेंगी ,जो नग्न अवस्था में तुम्हें शराब पिलाएंगे। इसी चक्कर में लाखों मुसलमान मारे जाते हैं हर एक के लिए 72 पूरे आती कहां से होंगी।
 
मौलाना बोलते हैं कि अल्लाह का संदेशा आया है कि काफिरों का क़त्ल करो बलात्कार करो। नहीं समझ में आता अल्लाह उनको ही संदेश क्यों देते हैं, जो मानवता का दुश्मन है।
 
 
सातवे आसमान में अल्लाह रहते है ,पर अभीतक पहला आसमान से आगे जा नही सके
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==कुरान में अवैज्ञानिकता==