18
सम्पादन
छो (HotCat द्वारा श्रेणी:काव्य जोड़ी) |
छो (हिन्दी कविता) टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका |
||
[[श्रेणी:प्रारूप के अनुसार साहित्य]]
[[श्रेणी:काव्य]]
हिन्दी की कविता-----
अपने
----
दुख जाये जब मन
दो अश्क छलका लेना
न करना कभी शिकायत
न कभी गिला करना
तुम मेरे हो, हूँ तुम्हारी मैं
फिर अपनों से क्यों
अपने मन की कहना
कि आता है उन्हें पढ्ना
हर बात बिन कहे ही !
सीमा असीम
17,1,20
|
सम्पादन