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हिन्दी की कविता-----
 
अपने
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दुख जाये जब मन
 
दो अश्क छलका लेना
 
न करना कभी शिकायत
 
न कभी गिला करना
 
तुम मेरे हो, हूँ तुम्हारी मैं
 
फिर अपनों से क्यों
 
अपने मन की कहना
 
कि आता है उन्हें पढ्ना
 
हर बात बिन कहे ही !
 
सीमा असीम
 
17,1,20