"मीरा बाई": अवतरणों में अंतर
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मीराके जन्म स्थान को बाजोली माना जाता ह उनके जन्म के समय पिता गांव बाजोली में रहते थे ,कुड़की गांव रतन सिंग को मीरा के जन्म के 11वर्ष बाद जागीर में मिला टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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== जीवन परिचय ==
[[चित्र:Temple of Mirabai in the fort.jpg|thumbnail|मीराबाई का मंदिर, [[चित्तौड़गढ़]] (१९९०)]]
मीराबाई का जन्म सन 1498 ई. में मेड़ता में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं।मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। उदयपुर के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के [[महाराणा सांगा]] के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, (किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं।(मीरा
[[द्वारिका|द्वारका]] में संवत 1603(1547ई.)वो भगवान कृष्ण की मूर्ति में समा गईं।
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मीराबाई को राजस्थान की राधा का जाता है (बचपन का नाम पेमल या प्रेमल )
जन्म 1498 कुड़की ,पाली( इसके अलावा बाजोली मेड़ता में भी माना जाता ह)
पिता- रतन सिंह राठौड़ (बाजोली के जागीरदार)
दादा - राव
<nowiki>*</nowiki>मीराबाई का विवाह 1516 में राणा सांगा के बड़े पुत्र भोजराज के साथ , शादी के 7 वर्ष बाद भोजराज की मृत्यु हो गई.
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