"आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर

शुक्ल युग 1922 ई० से 1938 तक.
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[[कथा साहित्य]] के क्षेत्र में [[प्रेमचंद]] ने क्रांति ही कर डाली। अब कथा साहित्य केवल मनोरंजन, कौतूहल और नीति का विषय ही नहीं रहा बल्कि सीधे जीवन की समस्याओं से जुड़ ग़या।उन्होंने सेवा सदन, रंगभूमि, निर्मला, गबन एवं गोदान आदि उपन्यासों की रचना की। उनकी तीन सौ से अधिक कहानियां मानसरोवर के आठ भागों में तथा गुप्तधन के दो भागों में संग्रहित हैं। पूस की रात, कफन, शतरंज के खिलाडी, पंच परमेश्वर, नमक का दरोगा तथा ईदगाह आदि उनकी कहानियां खूब लोकप्रिय हुई। इसकाल के अन्य कथाकारों में [[विश्वंभर शर्मा कौशिक]], [[वृंदावनलाल वर्मा]], [[राहुल सांकृत्यायन]], [[पांडेय बेचन शर्मा उग्र]], [[उपेन्द्रनाथ अश्क]], [[जयशंकर प्रसाद]], [[भगवतीचरण वर्मा]] आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
 
नाटक के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद का विशेष स्थान है। इनके चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त, ध्रुवस्वामिनी जैसे ऐतिहासिक नाटकों में इतिहास और कल्पना तथा भारतीय और पाश्चात्य नाटयनाट्य पद्यतियोंपद्धतियों का समन्वय हुआ है। [[लक्ष्मीनारायण मिश्र]], [[हरिकृष्ण प्रेमी]], [[जगदीशचंद्र माथुर]] आदि इस काल के उल्लेखनीय नाटककार हैं।
 
== अद्यतन काल ==