"कटनी": अवतरणों में अंतर

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कटनी नगर का नामकरण [[कटनी नदी]] के नाम पर हुआ है। इस नदी पर नगर पश्चिम में 2किमी दूर कटाए घाट है। वास्तव में यह 'कटाव घाट' है, उस कटाव पहाड़ी का जो [[बहोरीबंद]] में है। घाट का आशय चढ़ाव है। डॉ॰ [[शिवप्रसाद सिंह]] के उपन्यास 'नीला चाँद' में इस कटाव घाट के रास्ते से होकर युद्ध के लिए जाने की सलाह [[काशी नरेश]] को दी जाती है। 'मध्यप्रदेश की बारडोली ' कटनी - यह गौरवशाली उपाधि इसलिए मिली कि नगर एवं पचासों गाँव गँवइयों के लोगोँ ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बापू का साथ दिया था। प्रदेश में सबसे बढ़कर संख्या बल जेल जाने वालोँ का यहाँ के लोगों का था। माता [[कस्तूरबा]] से मुलाकात करने यहाँ के रेल्वे प्लेटफार्म पर उनके बड़े पुत्र यहाँ आए थे। साहित्य में उल्लेखनीय है [[विजयराघवगढ़]] रियासत के [[ठाकुर जगमोहन सिंह]] के काव्य-उपन्यास 'श्यामा स्वप्न' की भारतेंदुकालीन परंपरा। आगे गाँधीवादी कवि [[राममनोहर बृजपुरिया]] सम्राट के बाद कथा कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखक कटनी में हुए। कहानी उपन्यास एवँ व्यंग्य लेखन में सर्वाधिक उल्लेखनीय हैँ - सुबोधकुमार श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार पाठक। कविता की गीत नवगीत लेखन परंपरा को समृद्ध करने वाले सुरेंद्र पाठक, राम सेंगर, राजा अवस्थी आदि के अलावा ओम रायजादा, अनिल खंपरिया ग़ज़ल गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैँ। मंचके कवियोँ की परंपरा भी यहाँ खूब समृद्ध है। 'किरण' यहाँ पर कला संगीत का सक्रिय मंच है। बघेली, बुँदेली और गोंडी बोलियों की त्रिधारा कटनी को बोलियों का प्रयाग बनाती है। किन्नर प्रत्याशी कमला जान ने नगर महापौर बनकर पूरे देश में कटनी की धूम मचा दी थी। करमा, राई, फाग, भगत आदि लोकनृत्य लोकगीत यहाँ नाचे गाए जाते हैँ
 
 
== मुख्य आकर्षण ==
=== झिंझरी ===
कटनी जिले के जबलपुर रोड पर कटनी से 3 किलोमीटर दूर झिंझरी शैलाश्रय है। यहां चूना पत्थर की 14 विशाल मेंढकाकार चट्टानें देखी जा सकती है। इन प्रागैतिहासिक कालीन चट्टानों में तत्कालीन मानव के औजारों, हथियारोँ, पशु पक्षी, मानवाकृतियाँ, पेड़ और पत्तों आदि के शैलचित्रोँ को देखा जा सकता है। ये शैलचित्र 10000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व के माने जाते हैं। सरकारी संरक्षण के बावज़ूद अब ये समाप्तप्राय हैँ।
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कटनी जिले का यह छोटा-सा गांव प्रारंभ में झांझनगढ़ के नाम से जाना जाता था। सपाट छत वाला 1500 साल पुराना मंदिर यहां देखा जा सकता है। तिगवा में 30 से भी अधिक मंदिरों को अवशेष हैं। इस गांव के चारों तरफ अनेक मूर्तियां देखी जा सकती हैं। भगवान नरसिंह और पार्श्‍वनाथ की प्रतिमा काफी लोकप्रिय है यहां सबसे ज्यादा प्रसिद्ध शारदा माता का मंदिर है
यहां से थोड़ा आगे जाएंगे अब तो आपको बरही और डिहुँटा के बीच भगवान शंकर अपने आप प्रकट होते हुए मिलेंगे यह धाम जलहरी धाम कहा जाता है यहां अपने आप भगवान शंकर प्रगट होते हैं
 
 
== CHARGWAN == कटनी जिले से 28 किलोमीटर दूर है
यहां चरगवान से 2 किलोमीटर दूर एक ऐतहासिक मंदिर स्थित है, जो कि काली माता का मंदिर है। यहां एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 30 फुट (जो कि एक नीम के पेड़ के बराबर है) है। और इस पत्थर के नीचे ही काली माता विराजमान है। और chargwan में 2 किलोमीटर दूर शंकर जी का मंदिर स्थित है। जहां पर एक विशालकाय बरगद का पेड़ है। जिसकी शाखाएं 150 मीटर तक फैली हुई है।
 
== आवागमन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कटनी" से प्राप्त