"राजा मान सिंह": अवतरणों में अंतर

ऐतिहासिक प्रमाण नही था। जोधा एक काल्पनिक पात्र है।
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कुछ इतिहासकारों के अनुसार यही घटना [[हल्दी घाटी]] के युद्ध का कारण भी बनी। [[अकबर]] को [[महाराणा प्रताप]] के इस व्यवहार के कारण [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने का एक और मौका मिल गया। सन 1576 ई. में 'राणा प्रताप को दण्ड देने' के अभियान पर नियत हुए।
मुगल सेना मेवाड़ की ओर उमड पड़ी। उसमें मुगल, राजपूत और पठान योद्धाओं के साथ अकबर का जबरदस्त तोपखाना भी था हालाकि पहाड़ी इलाकों में तोप काम ना आ सकी और युद्ध में तोपो की कोई भूमिका नहीं थी। अकबर के प्रसिद्ध सेनापति महावत खान, आसफ खान और महाराजा मानसिंह के साथ अकबर का शाहजादा सलीम उस मुगल सेना का संचालन कर रहे थे, जिसकी संख्या 5,000 से 10,000 के बीच थी। तीन घंटे के युद्ध के बाद मेवाडमुगलो की आधी फौज मारी जा चुकी थी किन्तु प्रताप मैदानभी छोड़रणमैदान करमें भागनेघायल मेंहो हुए तब उनके सेनापति झाला मन्ना ने उन्हें युद्धभूमि से सुरक्षित बाहर भेज। स्वयं सफलयुद्ध रहे।लड़ा। विजय होने के उपरांत मानसिंह ने पूरे मेवाड को मुगल साम्राज्य के अधीन करदिया था और प्रताप को अगले 4 वर्षों तक जंगल और पहाड़ों में जीवन जीना पड़ा था।
 
== मानसिंह और रक्तरंजित हल्दी घाटी ==