"परमाणु": अवतरणों में अंतर

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परमाणु के केन्द्र में [[नाभिक]] (न्यूक्लिअस) होता है जिसका [[घनत्व]] बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर [[ऋणात्मक]] [[आवेश]] वाले [[एलेक्ट्रान]] चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, [[धनात्मक]] आवेश वाले [[प्रोटॉन|प्रोटानों]] एवं अनावेशित (न्यूट्रल) [[न्यूट्रॉन|न्यूट्रानों]] से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु [[धनावेशित]] या [[ऋणावेशित]] [[ऑयन]] के रूप में होता है।
 
आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं।
 
नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के [[समस्थानिक]] को परिभाषित करता है।अर्थात परमाणु के नाभिक मे उपस्थिति प्रोटॉन की संख्या उस तत्व का परमाणु क्रमांक कहलाता है <ref name=leigh1990>{{cite book|editor=Leigh, G. J.|year=1990|title=International Union of Pure and Applied Chemistry, Commission on the Nomenclature of Inorganic Chemistry, [[Nomenclature of Organic Chemistry]] – Recommendations 1990|publisher=Blackwell Scientific Publications|isbn=0-08-022369-9|page=[https://archive.org/details//page/35 35]|location=Oxford|quote=An atom is the smallest unit quantity of an element that is capable of existence whether alone or in chemical combination with other atoms of the same or other elements.}}</ref> इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के [[चुम्बकत्व|चुंबकीय]] गुण को प्रभावित करता है। परमाणु [[अणु]] के रूप में [[रासायनिक यौगिक]] बनाने के लिए [[रासायनिक आबंध]] द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और [[रसायन शास्त्र]] के अनुशासन का विषय है।