"१९७१ का भारत-पाक युद्ध": अवतरणों में अंतर

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इसके साथ ही १९७१ के भारत-पाक युद्ध का आधिकारिक आरम्भ हुआ एवं इन्दिरा गांधी ने सेना कि टुकड़ियों को सीमा की ओर कूच करने के आदेश दिये तथा पूरे स्तर पर पाकिस्तान पर आक्रमण आरम्भ कर दिया।{{rp|333}}<ref name="Oxford University Press, Garver"/> इस अभियान में [[:w:East Pakistan Air Operations, 1971|समन्वय बनाकर वायु]], सागर एवं भूमि से पाकिस्तान पर सभी मोर्चों पर हमले बोल दिये गए।{{rp|333}}<ref name="Oxford University Press, Garver">{{cite book|last1=Garver|first1=John W.|title=China's Quest: The History of the Foreign Relations of the People's Republic of China|publisher=Oxford University Press|isbn=9780190261061|url=https://books.google.com/?id=xvuuCgAAQBAJ&pg=PA333&dq=indian+attack+on+pakistan+1971#v=onepage&q=indian%20attack%20on%20pakistan%201971&f=false|accessdate=24 December 2016|language=en|date=1 दिसंबर 2015}}</ref> भारत के इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पूर्वी मोर्चे पर [[ढाका]] पर अधिकार करना एवं पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान को भारतीय भूमि में घुसने से रोकना था।<ref name="Subcontinent" /> There was no Indian intention of conducting any major offensive into Pakistan to dismember it into different states.<ref name="Subcontinent" />
 
===नौसैनिक युद्ध स्थिति===
INS जहाज
[[File:Ussdiablo.jpg|thumb|250px|पाकिस्तान का {{ship|पीएनएस|ग़ाज़ी}} भारतीय पूर्वी तट के बंदरगाह [[विशाखापट्टनम]] के निकट डूबा, जो [[हिन्द महासागर]] के जल में किसी पनडुब्बी की प्रथम दुर्घटना थी।]]
INS khukhri
#''''''पाकिस्तान जो बाद में बांग्लादेश बना वहां पर पाकिस्तानी सेना और छापामार मुक्ति वाहिनी सेना के बीच लड़ाई छिड़ी हुई थी मुक्ति वाहिनी अलग देश की मांग कर रही थी और उनकी लड़ाई में पाकिस्तानियों का मानना था कि इस उफान लेते विद्रोह की वजह छापामार सैनिकों को भारत की दी हुई सह है और यह बात ठीक गई थी क्योंकि पाकिस्तानियों का हुमनराईट को लेकर व्यवहार हद पार कर रहा था और भारत पर सैनिक हस्तक्षेप का दबाव बढ़ रहा था रहा था भारत के सेनाध्यक्ष जनरल मानक सौन पूरी तरह तैयार थे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहती थी कि हमला अप्रैल में हो 3 दिसंबर 1971 में इंदिरा गांधी एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे शाम के 5:40 पाकिस्तानी वायु सेना के सेवर जैतसर स्टार फाइटर्स विमानों ने भारतीय वायु सीमा पार करके पठानकोट श्रीनगर अमृतसर जोधपुर और आगरा के सैनिक हवाई अड्डे पर बम गिराने शुरू कर दिऐ है इंदिरा गांधी ने उसी समय दिल्ली लौटने का फैसला किया है दिल्ली में ब्लैक आउट होने के कारण पहले उनके विमान को लखनऊ मोड़ आ गया और फिर 11:00 बजे के आसपास वह दिल्ली पहुंची मंत्रिमंडल की आपात बैठक के बाद कांपती हुई आवाज में अटक अटक कर उन्होंने देश को संबोधित किया पाकिस्तान के इन हमलो के जवाब में भारतीय सेना आखिरकार पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के समर्थन में कूद पड़ी और ठीक उसी रात भारत ने पाकिस्तान से युद्ध की घोषणा कर दी युद्ध की घोषणा से पहले ही पाकिस्तान ने इंडियन नेवी के युद्धपोत ने लड़ाई के जहाज INS विक्रांत को खत्म करने की नियत से राजी पनडुब्बी पर मौजूद राजपूत के कैप्टन ने पानी में हलचल देखी डैक्स चार्ज जॉब कर दिए यानी एंटी सबमरीन बार फैर वेपंस लागू कर दिए रतन पनडुब्बियों से लड़ने वाले हथियार चार्ज क्या है जो अपने हाजी को गहरे समंदर में डुबो दिया नौसेना पाकिस्तान के इरादों से बात साफ हो गई थी
 
पिछले [[१९६५ का भारत-पाक युद्ध|१९६५ के युद्ध]] से अलग, इस बार पाकिस्तान भारत के संग नौसैनिक मुठभेड़ के लिये तैयार नहीं था। इस तथ्य से पाकिस्तानी नौसेना मुख्यालय के उच्च पदासीन अधिकारीगण भली-भांति अवगत थे कि उनकी नौसेना बिल्कुल तैयार नहीं है तथा उन्हें इस बार बुरी तरह मुंह की खानी पड़ेगी।{{rp|65}}<ref name="Lancer's Publications and Distributors">{{cite book|last=Goldrick|first=James|title=No Easy Answers|year=1997|publisher=Lancer's Publications and Distributors|location=New Delhi|isbn=1-897829-02-7|url=https://books.google.com/?id=6XW7kKHQeQoC&pg=PA45&dq=Pakistan+Navy#v=onepage&q&f=true}}</ref> [[पाकिस्तानी नौसेना]] [[भारतीय नौसेना]] के विरुद्ध गहरे सागर में आक्रामक युद्ध के लिये किसी भी स्थिति में सज्ज नहीं थी, न ही भारतीय नौसेना के सागरीय अतिक्रमण के सामने पर्याप्त सुरक्षा ही दे पाने में समर्थ थी।{{rp|75–76}}<ref name="Sona Printers, India"/>
और समझ गई थी कि दुश्मन की पनडुब्बी मुंबई बंदरगाह को अपना निशाना बनाएगी इसमें कोई शक नहीं था कि उनके लड़ाकू जहाज हाजी के डूबने का बदला लेने के लिए पाकिस्तान की नौसेना फड़फड़ा रही होगी इंडियन नेवी के कैप्टन ने तय किया लड़ाई शुरू होने से के पहले सारे नौसेना फीट को मुंबई से बाहर ले जाया जाए जब 2 और 3 दिसंबर की रात को नौसेना के पोत मुंबई छोड़ रहे थे तो इंडियन नेवल रेडियोडिटेक्शन इक्विपमेंट को दी करीब 30 मील दूर दक्षिण पश्चिमी कोई दूर तक एक पनडुब्बी की गतिविधि का पता लगा पाकिस्तान की पनडुब्बी बहुत आधुनिक थी सभी ताजा तकनीकों से लैस थी पश्चिमी बड़े 14 जून को तत्काल पनडुब्बी पर हमला करके तबाह करने की मुहिम पर भेज दिया गया बेडे में दो युद्धपोत शामिल थे आइनेंस कुकरीन और आइनेंस कृपाण ये दोनों टाइप फॉर बैकवर्ड क्लास में गेट थे एंटी सबमरीन फॉरगेट अपने मिशन पर 8 दिसंबर को मुंबई से चले और 9 दिसंबर की सुबह होने तक उस इलाके में पहुंच गए थे जहां पाकिस्तानी पनडुब्बी के होने का संदेह था और इस विकेट की कमान थे कैप्टन महेंद्रनाथ मुल्लाह के हाथ में जो शिप के आगे के हिस्से में रेलिंग से टिके हुए समंदर को ताक रहे थे दिमाग में अपने दुश्मन की पनडुब्बी को नष्ट करने की स्टडी चल रही थी और हाथ में एक लेटर पैड फड़फड़ा रहा था जिसमें वह अपनी 14 बरस की बच्ची को खत लिख रहे थे जो उनसे बहुत दूर शिमला में बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रही थी मुल्लाह अपनी बेटी पर जरा सा नाराज थे कि उसके विषय में 90% से ज्यादा नहीं आए हैं क्यों सबसे बेहतर नहीं है आखिर उनकी बेटी थी एक ऐसे पिता की बेटी जो किसी हाल में कमतर साबित नहीं होना चाहते थे वह अपनी बेटी को सख्त हिदायतें दे रहे थे कि वो किसी भी कीमत पर अपने लक्ष्य से ना भटके अभी वक्त सिर्फ पढ़ाई में ध्यान देने का है मजबूत भविष्य के लिए गहरी नहीं खोजने का है उन्होंने लिखा '''live laughter and love will come later''' कैंटीन में खाने की शिकायत करने वाली बेटी को उन्होंने जवाब दिया कि अच्छा है कि तुम्हें दो वक्त का खाना मिल रहा है देश की 90% आबादी को इतना भी नसीब नहीं है मैं खुश हूं कि तुम्हें अभाव में रहने की आदत पड़ रही है कैप्टन मुल्ला जानते थे कि फौजियों की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं वह अपनी बेटी को एक मजबूत इंसान बनाना चाहते थे अपनी तरह पिता के मन के बवंडर समुंद्र में पैता हुई हलचल से कहीं ज्यादा बड़े होते हैं 15 मई 1926 को जन्मे कप्तान महेंद्र नाथ 1948 में रॉयल इंडियन नेवी में कमीशन हुए थे 10 साल बाद लेफ्टिनेंट कमांडर फिर 8 साल बाद 1964 कमांडर सुबह से सरल और ईमानदार शख्स थे और बेहद कड़क और जुझार ऑफिसर थे अपनी टीम से भी उनकी यही उम्मीद रहती थी उन्हें टॉप टास्कमास्टर कहा जाता था महेंद्र मुल्ला एक स्पष्ट वादी अफसर थे और अपने शानदार दबंग व्यक्तित्व के कारण सबके बीच बहुत लोकप्रिय थे नेवल ऑफिसर जो कोर्ट मार्शल से गुजरते थे उनके लिए क्या पद मिला एक डिफेंस काउंसिल के रूप में बहुत डिमांड में रहते थे वह जजों और वकीलों के परिवार से थे शायद इसीलिए कायदे कानून को लेकर बड़ी गहरी समझ रखते थे 9 दिसंबर की सुबह पाकिस्तान सेना की दसवीं क्लास पनडुब्बी पीएनआर ने अपने एरिया में दो सोना कांटेक्ट किए सुनाने साउंड वेव या ध्वनि की मदद से समुद्र में किसी चीज का पता लगाना पनडुब्बी के शौर्य ट्रांसलेशन ने उनकी पहचान एक व्हाट्सएप के तौर पर कर ली लेकिन उनको रोक नहीं पाए उनके रास्ते में अड़चन पैदा करने की कोशिश असफल हो गई और रेंज बढ़ने से उनका संपर्क टूट गयाड्यू के तट से कोई 40 नॉटिकल माइल अंदर अरब महासागर के शांत पानी में तैरते आयनेस्को करी को अंदाजा भी नहीं था कि उसका दुश्मन उसके आसपास घात लगाए बैठा है 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात इसी पनडुब्बी में तैनात पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट कमांडर तसनीम अहमद पानी के नीचे अपनी वसूल में कसमसा रहे थे पूरा का पूरा इंडियन नेवल फ्लीट उनके ऊपर से गुजरा और वह कुछ नहीं कर सके उनके पास हमला करने के आदेश नहीं थे क्योंकि युद्ध की औपचारिक घोषणा भी हुई नहीं थी कंट्रोल रूम में कई लोगों ने तो फायर करने के लिए दबाव डाला लेकिन ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि हमला करना युद्ध करने जैसा था और एक लेफ्टिनेंट कमांडर अपनी तरफ से ऐसा कतई नहीं कर सकता था हा क्योंकि दुश्मन नजदीक था हां लालच जरूर आता रहा दुश्मन इतने करीब हो और वह भी खतरे से एकदम अनजान ऐसा मौका आसानी से कहां मिलता है अब भारतीय नौसेना को पाकिस्तानी पनडुब्बी अंगूर के द्वारा भेजे गए संदेशों से उनके वहां होने का पता चल चुका था जाके एक पाकिस्तानी पनडुब्बियों के तटों के आस-पास ही घूम रही है धीमी रफ्तार से जा रही थी कप्तान ने रफ्तार इसलिए धीमी इसलिए रखी थी क्योंकि उसके बेहतर और उन्नत 170 174 सोनार का डिटेक्शन बढ़ाना था इस वक्त 12 नोट 20- 21 किलोमीटर प्रति घंटा थी ठीक उसी समय और हंगोरअपने इरादों को अमल करने पर तुला था और भारत के वारशिप की धीमी गति उसका काम आसान कर रही थी 9 दिसंबर को अंगूर काठियावद की तरफ जा रही तभी उसके सोनार पर कुछ कांटेक्ट डिटेक्टर दुए उनके सोना हमसे सब पता लग रहा था वह वारशिप है उनकी दूरी कोई 6 से 8 मील की बताएं पाकिस्तानी सबमरीन ने अपने दुश्मन का पीछा शुरू कर दिया खोज लेने की लंबी दूरी की अपनी क्षमता के कारण हंगूर को जल्दी खुकरी और कृपाण के होने का पता चल गया और यह दोनों पोर्ट जिग जैग तरीके से पाकिस्तानी पनडुब्बी की खोज कर रहे थे और हंगोर ने उनके और नजदीक आने का इंतजार किया फिर रेन्ज में आते ही उसने - कृपाण को अपना निशाना बनाया और एक होमिंग टोरपीडो उसकी तरफ दाग दिया पाकिस्तान हिंदुस्तान के जहाजों को हिंदुस्तान के पानी में ही डूबा देना चाहता था अपने पोत गाजी का बदला लेने का बहुत अच्छा मौका उसके हाथ लग गया था होमिग टोरपीडो का अपना सोनार होता है वह खुद अपना लक्ष्य खोज कर वार करता है यह बहुत आधुनिक self-propelled वेपन था वार्ड निशाने पर लगा था लेकिन भारत की वारशिप की किस्मत अच्छी थी टोरपीडो फटा नहीं पनडुब्बी के आसपास होने से पानी में नीचे गहराई में हलचल हो रही थी जल समंदर की लहरों के अलावा किसी और मूवमेंट का इशारा कर रही थी फाइनेंस कृपाण को खतरे का आभास हो गया कप्तान ने टीम को अलर्ट किया और पूरी तेजी से शिप को मोड़ दिया वह उसे दूर ले जाने लगे सिर्फ अपना बचाओ करना युद्ध नहीं होता युद्ध तो आक्रमण से जीत जाते हैं कृपाण ने अपनी सुरक्षा में एक और मैं अपनी सुरक्षा में एक एंटी सबमरीन मोटर अंगूर को निशाना बनाते हुए दाग दिया लेकिन वह पाकिस्तानियों का कोई नुकसान नहीं कर सका जब अंगूर का पहला वार खाली गया तो उसने स्पीड बढ़ाने के लिए स्मोकिंग शुरू कर दिया न सतह पर तैरते हुए बाहर से भी हवा खींचते रहना लेकिन उसके प्रयासों को सफलता नहीं मिली 9 तारीख की शाम को पाकिस्तान के अंगूर ने भारत के दोनों युद्ध पोतों की चाल का एक पैटर्न समझ लिया था शाम 7:00 बजे पनडुब्बी फाइनेंस को करीब 12 की स्पीड से चल रही थी उससे अंदाजा भी नहीं था कि
अब हंगौर हमला करने के लिए तैयार थी
वह परेश कोप्पैक्ट पर चल रही थी पानी की सतह पर लेकिन अंधेरे की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा थाहमको बहुत तेजी से पलटा था और उसने कुफरी को पीछे से निशाना बनाया और एक और और टोरपिडो दाग दी कोकरी की तरफ आया 1:30 मिनट की रन थी टोरपिडो कोकरी की मैगजीन के नीचे जाकर एक्सप्लोड हुआ कोकरी में परंपरा की रात 8:45 के समाचार सभी इकट्ठा होकर एक साथ सुना करते थे ताकि उन्हें पता रहे कि बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है समाचार शुरू हुए यह आकाशवाणी है अब समाचार
समाचार शब्द पूरा नहीं हुआ था कि टोरपीडो ने शिप को हिट किया किया झटका इतनी जोर का था कि 1200 भारी-भरकम पूरी तरह हिल गई जैसे कोई बवंडर आया हो समंदर मे कैप्टन अपनी कुर्सी से गिर गए और उनका सर लोहे से टकराया और माथे से खून बहने लगा अभी किसी को समझ में आता क्या हुआ है कि उससे पहले ही एक धमाका और दूसरा धमाका होते ही पूरे पोत की बत्ती चली गई को कैप्टन मुल्लाह ने आदेश दिया कि वह पता लगाएं कि हो क्या रहा है कहां है और कितना नुकसान हुआ है कुछ भी पता करने का एक्शन लेने का वक्त नहीं बचा था कुकरी में दो छेद हो उस चुके थे और उनमें तेजी से पानी भर रहा था उसके फनल से धू धू करती आग निकल रही थी लपटें निकल रही थी उधर सब लेफ्टिनेंट भागकर ब्रिज पर पहुंचे उस समय वेस्टर्न सीट केस टास्क फोर्स के कमांडर कैप्टन मुल्लाने पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख को सिग्नल भिजवाए की कुकरी पर हमला हो गया है आखरी टोरपीडो के बाद के कारण सुख का सारा तेल बहकर समंदर की तरह पर फैलता जा रहा था कई हिस्सों में आग लग गई थी लोग अंडर वॉटर वाटर तैरकर ही किसी तरह से दूर जा सकते थे आसपास का तेल के कारण दम घुट रहा था कैप्टन मुल्ला जानते थे कि बचाव दल की जरूरत है सही मायनों में कप्तान थे।एक मजबूत इंसान उनका इलाज करने वाले डॉक्टर हैरान रह जाते थे कि कैसे वह दर्द को बिना दवा बिना पेन रिलीफ के सहन कर लेते थे
 
युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर, भारतीय नौसेना की [[पश्चिमी नवल कमान]] से वाइस एड्मिरल [[सुरेन्द्र नाथ कोहली]] के नेतृत्त्व में ४/५ दिसम्बर १९७१ की रात्रि में कूटनाम: [[:w:Operation Trident (Indo-Pakistani War)|''त्रिशूल'']] नाम से [[कराची बंदरगाह]] पर अचानक हमला बोल दिया।<ref name="GlobalSecurity" /> इन नौसैनिक हमलों में [[:w:Soviet Navy|सोवियत]]-निर्मित [[:w:Osa-class missile boat|ओसा मिसाइल नावों]] के द्वारा पाकिस्तानी नौसेना के [[ध्वंसक]] {{ship|पीएनएस|खायबर}} एवं [[:w:Minesweeper (ship)|माइनस्वीपर]] {{ship|पीएनएस|मुहाफ़िज़}} को तो जलमग्न ही कर दिया जबकि {{ship|पीएनएस|शाहजहां|डीडी-९६२|६}} भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया।<ref name="GlobalSecurity" /> इसके बदले में पाकिस्तानी नौसैनिक पनडुब्बियों, {{ship|पीएनएस|हैंगर|एस१३१|२}}, ''मॅन्ग्रो'', एवं ''शुशुक'', ने भारतीय युद्धपोतों की खोज का अभियान शुरु कर दिया।{{rp|86–95}}<ref name="Sona Printers, India">{{cite book|last1=Goldrick|first1=James|title=No Easy Answers|date=1997|publisher=Sona Printers, India|location=New Delhi, India|isbn=1 897829 02 7|url=http://www.navy.gov.au/sites/default/files/documents/PIAMA02.pdf|accessdate=24 December 2016|format=PDF}}</ref><ref>Seapower: A Guide for the Twenty-first Century By Geoffrey Till page 179</ref> पाकिस्तानी नौसैनिक स्रोतों के अनुसार लगभग ७२० नौसैनिक या तो हताहत हुए या लापता थे, पाकिस्तान का ईंधन भण्डार एवं बहुत से व्यापारिक पोत भी नष्ट हो गये, जिससे पाकिस्तानी नौसेना का युद्ध करना या युद्ध में बने रहना अब और कठिन हो गया।{{rp|85–87}}<ref name="Sona Printers, India"/> ९ दिसम्बर १९७१ को हैंगर ने {{INS|खुकरी|एफ़१४९|६}} को जलमग्न कर दिया, जिसमें १९४ भारतीय हताहत हुए; एवं यह घटना [[द्वितीय विश्व युद्ध]] के बाद प्रथम पनडुब्बी हमला थी।{{rp|229}}<ref name="Seaforth Publishing, Branfill-Cook">{{cite book|last1=Branfill-Cook|first1=Roger|title=Torpedo: The Complete History of the World's Most Revolutionary Naval Weapon|publisher=Seaforth Publishing|isbn=9781848322158|url=https://books.google.com/?id=9lquBQAAQBAJ&pg=PA229&dq=ins+khukri+world+war+II+This+was+the+first+submarine+kill+since+%5B%5BWorld+War+II%5D%5D#v=onepage&q=ins%20khukri%20world%20war%20II%20This%20was%20the%20first%20submarine%20kill%20since%20%5B%5BWorld%20War%20II%5D%5D&f=false|accessdate=24 December 2016|language=en|date=27 अगस्त 2014}}</ref><ref name="bharat">{{cite web|url=http://www.bharat-rakshak.com/NAVY/History/1971War/44-Attacks-On-Karachi.html |title=Trident, Grandslam and Python: Attacks on Karachi |work=Bharat Rakshak |accessdate=20 October 2009 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20090926174134/http://www.bharat-rakshak.com/NAVY/History/1971War/44-Attacks-On-Karachi.html |archivedate=26 September 2009 }}</ref>
आईनस कुकरी में सवार 18 अफसरों और कोई 200 सेलर्स कुछ समझ पाते कि क्या हो रहा है कि पानी उनके घुटनों तक पहुंच गया था लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे थे खुखरी का ब्रिज समुद्री सतह से चौथी मंजिल पर था लेकिन मिनट से कम समय में ब्रिज और समुद्र का स्तर बराबर हो चुका था मुलाने अपने सब लेफ्टिनेंट की तरफ देखा और बोले gat dowm
 
[[:w:INS Khukri (F149)#Incident|आईएनएस ''खुकरी'']] के हमले के तुरन्त बाद ही ८/९ दिसम्बर की रात को ही कराची बंदरगाह पर एक और बड़ा हमला हुआ जो कूटनाम: [[:w:Operation Python|''पायथन'']] के नाम से था।<ref name="GlobalSecurity" /> भारतीय नौसेना की [[:w:Osa-class missile boat|ओसा मिसाइल नावों]] ने कराची बंदरगाह पहुंचकर सोवियत से ली हुई [[:w:P-15 Termit|स्टाइक्स प्रक्षेपास्त्र]] से मार की किसके परिणामस्वरूप कई बड़े ईंधन टैंक द्ज्वस्त हुए एवं तीन पाकिस्तानी व्यापारी बेड़े तथा एक वहां खड़े विदेशी जहाज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।<ref name="Pakistan Defence, Usman">{{cite web|last1=Shabir|first1=Usman|title=The Second Missile Attack « PakDef Military Consortium|url=http://pakdef.org/the-second-missile-attack/|website=pakdef.org|publisher=Pakistan Defence, Usman|accessdate=24 December 2016}}</ref> पाकिस्तानी वायु सेना ने किसी भी भारतीय नौसैनिक युद्धपोत पर हमला नहीं किया एवं अगले दिन तक भी उन्हें संदेह बना रहा, जिसके चलते [[पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस]] के टोही युद्ध विमानचालक की तरह कार्यरत एक नागरिक विमान चालक ने अपने ही {{ship|पीएनएस|ज़ुल्फ़ीकार|के२६५|६}} को भारतीय पोत के भ्रम में हमला कर दिया, जिससे उस पोत को भयंकर क्षति पहुंची व साथ ही कई कार्यरत नौसैनिक अधिकारीगण भी हताहत हुए।<ref name="defencejournal.com">{{cite web | url=http://defencejournal.com/may98/fightergap2.htm | title=Defence Notes | publisher=defencejournal.com | accessdate=अप्रैल 25, 2012}}</ref>
यह उनका आदेश था जिसे डालने की किसी में हिम्मत नहीं थी लेफ्टिनेंट में आखिरी बार अपने कमांडर की तरह देखा और फौलाद की सुरक्षा छोड़कर अरब सागर की भयानक लहरों के बीच कूद गए कैप्टन मूल्ला यहां वहां दौड़कर लोगों को नीचे कूदने को बोल रहे थे जितनी लाइव जैकेट्स थी सब बाट दी गए जितनी लाइफबोट्स थी सब पानी में उतार दी गई शिप में मौजूद आखरी जैकेट भी अपने जूनियर को पहना दी बोले
Save yourself don't worry about me के कप्तान थे उन्हें भारतीय नौसेना की परंपरा का निर्वाह करना था वह अपनी प्यारी शिप का साथ छोड़ नहीं सकते थे आईना इसको खरीद धीरे धीरे नीचे जाति जा रही थी लोग बरसे ज्यादा ठंडे पानी में छलांग लगा रहे थे समुद्र में लहरें उठी थी शायद नहीं जानते थे कि वह अकेले नहीं है जो समंदर के गर्भ में समाने जा रहे हैं उनकी टीम के कई लोग और थे उनके अपने आदमी को आदमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके हाथों में थी और वह कुछ नहीं कर पा रहे थे बेबस थे तो उन्होंने अपनी पोजीशन
 
युद्ध के पूर्वी मोर्चे पर, भारतीय [[पूर्वी नवल कमान]] ने वाइस एड्मिरल [[नीलकांत कृष्णन]] के नेतृत्त्व में पूर्वी पाकिस्तान को [[बंगाल की खाड़ी]] में एक नौसैनिक अवरोध बनाकर पश्चिमी पाकिस्तान से एकदम अलग-थलग कर दिया। इससे पूर्वी पाकिस्तानी नौसेना एवं आठ विदेशी व्यापारिक जहाज भी वहीं फंस गये। {{rp|82–83}}<ref name="Sona Printers, India"/> ४ दिसम्बर से विमानवाहक पोत {{INS|विक्रांत|R11|6}} को तैनात किया गया और उसके [[:w:Hawker Sea Hawk|सी-हॉक]] लड़ाकू बमवर्षकों ने [[चटगांव]] एवं [[कॉक्स बाज़ार]] सहित पूर्वी पाक के कई तटवर्त्ती नगरों व कस्बों पर हमला बोल दिया।<ref name=Olsen>{{cite book|last=Olsen|first=John Andreas|title=Global Air Power|year=2011|publisher=Potomac Books|isbn=978-1-59797-680-0|page=237}}</ref> पाकिस्तान ने बदले की कार्रवाई में {{ship|पीएनएस|ग़ाज़ी}} को भेजा, को संदेहजनक परिस्थितियों में रास्ते में ही, [[विशाखापट्टनम]] के निकट डूब गयी।<ref>{{cite news| url=http://www.hindu.com/mp/2006/12/02/stories/2006120202090100.htm|location=Chennai, India |work=The Hindu|title=Remembering our war heroes|date=2 December 2006}}</ref><ref>[http://www.rediff.com/news/2007/jan/22inter.htm 'Does the US want war with India?']. Rediff.com (31 December 2004). Retrieved on 14 April 2011.</ref> सेना के भी कई भाग हो जाने के कारण पाक नौसेना ने रियर एड्मिरल लेज़्ली मुंगाविन पर भरोसा किया, एवं पाकिस्तान मैरीन्स के द्वारा भारतीय सेना के विरुद्ध जलीय युद्ध (रिवराइन वारफ़ेयर) आरम्भ किया, किन्तु उसमें उन्हें आश्चर्यजनक भीषण हानि हुई। जिसका मुख्य कारण उन्हें बांग्लादेश की आर्द्र भूमि के अनुभव की कमी तथा अभियान युद्ध की बारे में अज्ञानता ही थे।<ref name="Global security, Marines">{{cite web|last1=Pike|first1=John|title=Pakistan Marines (PM)|url=http://www.globalsecurity.org/military/world/pakistan/marines.htm|website=www.globalsecurity.org|publisher=Global security, Marines|accessdate=24 December 2016}}</ref>
कैप्टन को अपने पैरों में पानी महसूस हो रहा था एक वार शिप का कमांडर सामने दिखती मौत से घबरा जाए तो वह कमांडर कैसा है उनके जूनियर स्टाफ ने अपने कैप्टन जैसा दिलेर ओ सैयमी आज तक नहीं देखा था उन्होंने दूर से देखा कि आयनेस क्रुकी का अगला हिस्सा 80 डिग्री का एंगल बनाकर पानी के अंदर जा रहा था और कैप्टन के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी शेरो-शायरी के शौक़ीन कैप्टन महेंद्र नाथ के लिए ही शायद अहमद नदीम कासमी गए थे
 
[[File:INS Vikrant (R11) launches an Alize aircraft during Indo-Pakistani War of 1971.jpg|thumbnail|भारतीय विमानवाहक युद्धपोत {{INS|विक्रांत|आर११|६}} से उड़ान भरता एक [[:w:Breguet Alizé|ऍलाइज़ विमान]]]]
कौन कहता है की मौत आई तो मर जाऊंगा मैं तो दरिया हूं समंदर में उतर जाऊंगा
पाक नौसेना को हुई हानि में ७ तोपनावें, १ माइनस्वीपर, १ पनडुब्बी, २ ध्वंसक, ३ गश्तीदल वाहक नावें, तटरक्षकों के ३ गश्ती जहाज, १८ मालवाहक, आपूर्ति एवं संचार पोत, कराची बंदरगाह पर नौसैनिक बेसेज़ पर तथा डॉक्स पर हुए वृहत-स्तर की हानियां थीं। तटीय नगर कराची को भी काफ़ी हानि हुई। तीन मर्चेण्ट नेवी के जहाज&nbsp;– ''अनवर बख़्श'', ''पास्नी'' एवं ''मधुमति''&nbsp;–<ref>{{cite web|url=http://www.irfc-nausena.nic.in/irfc/ezine/Trans2Trimph/chapters/39_transfer%20of%20ships1.htm |title=Utilisation of Pakistan merchant ships seized during the 1971 war |publisher=Irfc-nausena.nic.in |accessdate=27 July 2012 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20120301204938/http://www.irfc-nausena.nic.in/irfc/ezine/Trans2Trimph/chapters/39_transfer%20of%20ships1.htm |archivedate=1 March 2012 |df=dmy-all }}</ref> aएवं दस छोटे जहाज पकड़े भी गये थे।<ref name=Orbat>{{cite web|title=Damage Assesment&nbsp;– 1971 Indo-Pak Naval War |work=B. Harry |url=http://www.orbat.com/site/cimh/navy/kills(1971)-2.pdf |format=PDF |accessdate=20 June 2010 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20100508210258/http://orbat.com/site/cimh/navy/kills%281971%29-2.pdf |archivedate=8 May 2010 |df=dmy }}</ref> लगभग १९०० नौसैनिक लापता हुए, जबकि १४१३ सेवारत लोगों को भारतीय सेना ने ढाका में पकड़ा।<ref name="losses">{{cite web|title=Military Losses in the 1971 Indo-Pakistani War |work=Venik |url=http://www.aeronautics.ru/archive/vif2_project/indo_pak_war_1971.htm |archive-url=https://web.archive.org/web/20020225045411/http://www.aeronautics.ru/archive/vif2_project/indo_pak_war_1971.htm |dead-url=yes |archive-date=25 February 2002 |access-date=30 May 2005 |df=dmy-all }}</ref> एक पाकिस्तानी विज्ञ, तारिक क्ली के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी पाकिस्तान मैरीन्स की पूर्ण हानि हुई एवं लगभग आधी से अधिक नौसेना युद्ध में काम आ गयी।<ref>{{cite book|author=[[Tariq Ali]]|title=Can Pakistan Survive? The Death of a State|publisher=Penguin Books Ltd|year=1983|isbn=978-0-14-022401-6}}</ref>
 
आईनस कुकरी पानी में डूबने लगी तो एक बड़ा सा भवर बन गया और एक बड़े निवाले जैसे पूरे शिप को खींच कर अपने आप में समा लिया ऐसा लगा जैसे किसी नाटक का पटाक्षेप हुआ हो किसी बेहद दु:खद नाटक का चारों तरफ शोर मचा हुआ था लेकिन जब खुकरी आंखों से ओझल हुआ तो समय कुछ थम सा गया था जैसे मौत के बाद का माहौल
 
जो बच गए हैं उन्हें किनारे तक पहुंचाने की बचने वालों की आंखे जल रही थी समुद्र में तेल फैलने के कारण लोग उल्टियां कर रहे थे खुखरी के डूबने के 40 मिनट बाद कुछ दूरी पर रोशनी दिखाई दी
 
उन्होंने उसके पास पहुंचे थे
थोड़ी देर बाद क्षितिज के पानी पर जहाज के तीन मस्तूरिया नेमास दिखाई दिए नस का 4 नाम का जहाज आ गया था बचने वालों की संख्या 64 थी सभी को जहाज पर आते ही कंबल और गर्म चाय दी गई ।
 
=== वायु हमले ===