"बरेली": अवतरणों में अंतर

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=== १८५७ का विद्रोह ===
बरेली [[१८५७ का विद्रोह|१८५७ के विद्रोह]] का एक प्रमुख केंद्र था। [[मेरठ]] से शुरू हुए विद्रोह की खबर १४ मई १८५७ को बरेली पहुंची। इस समय उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में दंगे हुए, और बरेली, [[बिजनौर]] और [[मुरादाबाद]] में मुसलमानों ने मुस्लिम राज्य के पुनरुद्धार का आह्वान किया। ३१ मई को जब अंग्रेज सिपाही चर्च में प्रार्थना कर रहे थे, तब तोपखाना लाइन में सूबेदार [[बख्त सिंहखान]] के नेतृत्व में १८वीं और ६८वीं देशज रेजीमेंट ने विद्रोह कर दिया, और सुबह ११ बजे कप्तान ब्राउन का मकान जला दिया गया। इसके बाद ६८वीं पैदल सेना ने अपनी लाइन के पास के यूरोपियनों पर आक्रमण किया। छोटी-छोटी टुकड़ियां अलग-अलग बंगलों की ओर चल पड़ीं जबकि बाकी बचे सिपाहियों ने इधर-उधर भागना चाहने वाले अंग्रेजों को पकड़ने का प्रबंध किया। इस हमले से डरे-सहमे यूरोपियन लोग घुड़सवारों की लाइन की ओर दौड़े और वहां जाते ही नेटिव घुड़सवार रेजिमेंट को विद्रोहियों पर आक्रमण करने का आदेश दिया गया, पर उस रेजिमेंट ने भी विद्रोह कर दिया। छावनी में विद्रोह सफल होने की सूचना शहर में फैलते ही जगह-जगह अंग्रेजों पर हमले शुरू हो गए, और शाम चार बजे तक बरेली पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो चुका था। इस दिन १६ अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतार दिया गया, जिनमें जिलाब्रिगेडियर जज राबर्टसनसिवाल्ड, कप्तान ब्राउन, सिविलसार्जेंट सर्जनवाल्डन, डॉ.कैप्टन हेकर्बी, बरेलीलेफ्टिनेंट कॉलेजफ्रेजर, केसेशन प्रधानाचार्यजज डॉ.रेक्स, सीकर्नल बकट्रूप, सेशनकैप्टन जजरॉबर्टसन रेक्स,और जेलर हैंस ब्रो आदि शामिल थे। बचे हुए लोग [[नैनीताल]] की तरफ भाग गए।गए, जिनमें से लगभग बत्तीस अधिकारी नैनीताल तक सही-सलामत पहुंच सके।<ref>{{cite book |last1=विनायक दामोदर |first1=सावरकर |title=१८५७ का स्वातंत्र्य समर |url=https://archive.org/details/1857KaSavtantrtaSamar |accessdate=22 जनवरी 2020}}</ref><ref>{{cite news |title=गदर का दिन : 1857 में आज के ही दिन आजाद हुआ था बरेली, इन्हें चुना गया था यहां का नवाब |url=https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/bareily/story-bareilly-was-liberated-on-the-same-day-in-1857-2554719.html |accessdate=३१ जुलाई २०१९ |publisher=[[हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)|हिन्दुस्तान]] |date=३१ मई २०१९ |location=बरेली}}</ref>
 
अंग्रेजी निशान उतार फेंककर बरेली में स्वतंत्रता का हरित ध्वज फहराते ही नेटिव तोपखाने के मुख्य सूबेदार बख्त खान ने सारी नेटिव सेना का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।<ref name = "अमर उजाला खान बहादुर" /> फिर उन्होंने अंतिम रुहेला शासक [[हाफ़िज़ रहमत खान]] के पोते, [[खान बहादुर खान]] के नाम का जयघोष करके दिल्ली के बादशाह के सूबेदार की हैसियत से रुहेलखंड का शासन भी अपने हाथ में लिया। बरलेी में स्थित यूरोपियनों के घर-द्वारो को जलाकर, लूटकर भस्म करने के बाद फिर कैद किए गए यूरोपियनों को खानबहादुर ने अपने सामने बुलवायां और उनकी जांच के लिए एक कोर्ट नियुक्त किया। इन अपराधियों में बदायूँ प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर के दामाद- डाॅ ‘हे’, बरेली के सरकारी काॅलेज के प्रिंसिपल डाॅ. कर्सन और बरेली के जिला मजिस्ट्रेट भी थे। अलग-अलग आरोपों के कारण इन सभी को फांसी का दंड सुनाया गया और छह यूरोपियन लोगों को तुरंत फांसी पर चढ़ा दिया गया। इस तरह अपना सिंहासन पक्का जमाने के बाद खान बहादुर ने सारा रुहेलखंड स्वतंत्र होने का समाचार दिल्ली भेजा और फिर बख्त खान के नेतृत्व में सभी सैनिक दिल्ली की ओर चल दिए। विद्रोह के सफल होने के बाद पहली जून को विजय जुलूस निकाला गया और कोतवाली के समीप एक ऊंचे चबूतरे पर अंतिम रुहेला शासक हाफ़िज़ रहमत खान बरेच के पोते, खान बहादुर खान को बैठाकर उनकी ताजपोशी की गई, और जनता की उपस्थिति में उन्हें बरेली का नवाब घोषित कर दिया गया।<ref name = "अमर उजाला खान बहादुर">{{cite news |title=जब खान बहादुर खां ने बजाया था क्रांति का बिगुल |url=https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/bareilly/Bareilly-98594-120 |accessdate=22 जनवरी 2020 |publisher=अमर उजाला}}</ref> बख्तइसके खांबाद खानबहादुर ने आंदोलनकारीसारा सेनाओंरुहेलखंड कास्वतंत्र सेनापतित्वहो स्वीकारजाने करका लिया।<refसमाचार nameदिल्ली = "अमर उजाला खान बहादुर" />भेजा। ११ माह तक बरेली आजाद रहा। इस अवधि के दौरान खान बहादुर खां ने शोभाराम को अपना दीवान बनाया,<ref name = "अमर उजाला खान बहादुर" /> १ जून १८५७ को बरेली में फौज का गठन किया गया, और स्वतंत्र शासक के रूप में बरेली से चांदी के सिक्के जारी किए।
 
१३ मई १८५८ को [[ब्रिटिश सेना]] की ९वीं रेजिमेंट ऑफ़ फुट के कमांडर, कॉलिन कैंपबेल, प्रथम बैरन क्लाइड ने बरेली पर आक्रमण कर दिया, और ९३ वीं (सदरलैंड) हाईलैंडर्स के कप्तान विलियम जॉर्ज ड्रमंड स्टुअर्ट की सहायता से लड़ाई में विजय प्राप्त कर ब्रिटिश शासन बहाल किया। कुछ विद्रोहियों को पकड़ लिया गया और उन्हें मौत की सजा दी गई। परिमाणस्वरूप १८५७ का विद्रोह बरेली में भी विफल हो गया। खान बहादुर खान नेपाल भाग निकले, लेकिन नेपाल नरेश जंग बहादुर ने उन्हें हिरासत में लेकर अंग्रेजों के सुपुर्द कर दिया।<ref name="हिंदुस्तान स्वतंत्रता दिवस">{{cite news |title=स्वतंत्रता दिवस: खान बहादुर ने पहली क्रांति में दिलाई थी बरेली को आजादी |url=https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/bareily/story-khan-bahadur-was-given-the-first-revolution-in-bareilly-to-freedom-1290895.html |accessdate=22 जनवरी 2020 |work=https://www.livehindustan.com |language=hindi}}</ref> 1 जनवरी 1858 को उन्हें मुकदमे के लिए बरेली लाकर छावनी में रखा गया।<ref name="हिंदुस्तान स्वतंत्रता दिवस" /> मुकदमा 1 फरवरी को शुरू हुआ, जिसमें उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और २४ फरवरी १८६० को कोतवाली में फांसी दे दी गई।<ref>{{cite news |title=1857 गदर के क्रांतिकारी खान बहादुर को आज ही मिली थी फांसी |url=https://www.livehindustan.com/news/bareilly/article1-today-british-government-had-given-of-Khan-Bahadur-751672.html |accessdate=22 जनवरी 2020 |work=https://www.livehindustan.com |language=hindi}}</ref> उन्हें पुरानी जिला जेल के सामने दफन किया गया जहां आज भी उनकी मजार है। खान बहादुर खान के अतिरिक्त २५७ अन्य क्रांतिकारियों को भी कमिश्नरी के समीप एक बरगद के पेड़ के नीचे फांसी दे दी गयी।<ref>{{cite news |title=यहां फांसी पर लटका दिए थे 257 क्रांतिकारी |url=https://www.jagran.com/uttar-pradesh/bareilly-city-257-krantikari-hanged-18300184.html |accessdate=22 जनवरी 2020 |work=Dainik Jagran |language=hi}}</ref>
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बैंकिंग का व्यवसाय १८८२ में शुरू हुआ था, [[भारतीय स्टेट बैंक]] की तीन शाखाएं (पूर्व में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया) १९२३ में खोली गई थीं, शहर के स्वामित्व वाले 'बरेली कॉर्पोरेशन बैंक' की स्थापना १९२८ में हुई थी और इसे आसपास के शहरों जैसे [[शाहजहांपुर]], [[पीलीभीत]] और [[आगरा]] में भी खोला गया था। [[इलाहाबाद बैंक]], [[बैंक ऑफ बड़ौदा]] और [[पंजाब नेशनल बैंक]] की शाखाएं बाद में आईं।{{sfn |मोहम्मद |१९८६ |p=१७६ }}
 
== चिकित्सा ==
बरेली में ३४३ निजी अस्पातल है, जबकि १५ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, और १८ अर्बन हेल्थ पोस्ट है। इनके अतिरिक्त नगर में एक जिला अस्पताल, एक जिला महिला अस्पताल और एक मानसिक चिकित्सालय भी है।<ref>{{cite web |last1=गंगा |first1=एबीपी |title=स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल बरेली, इन मूलभूत समस्याओं से रहा जूझ |url=https://www.abpganga.com/aapka-pradesh/loksabha-election-2019-smart-city-bareilly-struggling-with-serious-problems-of-education-health-employment-401 |website=www.abpganga.com |accessdate=24 जनवरी 2020 |language=hi |date=15 अप्रैल 2019}}</ref>
 
== अर्थव्यवस्था ==
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== शिक्षा ==
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही, बरेली राजनीतिक जागरूकता और राजनीतिक प्रेरणा का केंद्र रहा है।<ref>{{cite book |last1=Jain |first1=Lakshmi |title=Dropout of Girl-child in Schools |date=2008 |publisher=Northern Book Centre |isbn=9788172112448 |url=https://books.google.co.in/books?id=N8ZNPEflZzgC |accessdate=१८ सितम्बर २०१९ |language=en}}</ref> यहां पर तीन निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें राजश्री, एसआरएमएस और रुहेलखंड शामिल हैं। इसके अलावा गंगाशील आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज भी है, लेकिन कोई भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं है। बरेली में करीब दो दर्जन मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। २८९४ बेसिक स्कूल, ४१६ माध्यमिक विद्यालय, ५२ सीबीएसई, ७ आईसीएससी स्कूल हैं।
* बरेली में [[महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय|एम. जे. पी. रोहेलखंड विश्वविद्यालय]] है, जिसकी स्थापना 1975 में की गयी थी।
* बरेली कॉलेज, जिसकी स्थापना 1837 में की गयी थी और इनवर्टिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ स्थित हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बरेली" से प्राप्त