"मीणा": अवतरणों में अंतर

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राजस्थान का मीणा समाज
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[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[चैत्र]] शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर [[मत्स्य जयन्ती]] के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन सम्पूर्ण राजस्थान में [[गणगौर]] का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।<ref name="Kapur May 2008">{{cite journal| title=Reconstructing Identities and Situating Themselves in History : A Note on the Meenas of Jaipur Region| last= Kapur | first = Nandini Sinha| year= May 2008| publisher= d'échange bilatéral franco-indien durant le mois de mai 2008
| url =http://www.reseau-asie.com/cgi-bin/prog/pform.cgi?langue=en&ID_document=2854&TypeListe=showdoc&Mcenter=agenda&my_id_societe=1&PRINTMcenter=}}</ref>
 
मीणा समुदाय को समाज ने हमेशा ही से ही अपने से अलग रखा। गांव का जो भी मुखिया होता था, उसके द्वारा उनका उपयोग किया जाता था। कहा जाता है कि मीणा समाज का मुख्य व्यवसाय चोरी करना था, यह लोग खेती-बाड़ी भी किया करते थे। चोरी हमेशा मुखिया के कहने पर की जाती थी, मूखिया गांव का प्रतिष्ठित व्यक्ति होता था, चोरी का एक मोटा हिस्सा मुखिया को दिया जाता था। इसीलिए मीणा समाज के लोग गांव के बाहर तरफ ही अपना घर बनाते थे, आज ही मीणा परिवार गांव के बाहर की तरफ ही रहते हैं। ताकि जो भी चोरी किया हुआ सामान गांव के बीचो-बीच ना ले जाना पड़े, यह रात के समय में ऊंट लेकर घूमते थे सारी चोरियां ऊंटों के माध्यम से की जाती थी। लोगों में मीणा समाज का बहुत डर था, इसी वजह सारे लोग इनके साथ बड़े भाईचारे से पेश आते थे। जब भारत आजाद हुआ तो इनको अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया, इन्होंने धीरे-धीरे आरक्षण का फायदा उठाकर अपनी पढ़ाई लिखाई की, धीरे-धीरे मीणा समाज प्रगति करने लगा। मीणा समाज आज ऊंचे ऊंचे पदों पर आसीन है, आरक्षण का इन्होंने पूरा फायदा उठाया और अपने आप को साबित कर दिखाया चोरी जैसे व्यवसाय को यह लोग 40-50 साल पहले ही छोड़ चुके हैं ।
 
== इन्हें देखे ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मीणा" से प्राप्त