मीणा समुदाय को समाज ने हमेशा ही से ही अपने से अलग रखा। गांव का जो भी मुखिया होता था, उसके द्वारा उनका उपयोग किया जाता था। कहा जाता है कि मीणा समाज का मुख्य व्यवसाय चोरी करना था, यह लोग खेती-बाड़ी भी किया करते थे। चोरी हमेशा मुखिया के कहने पर की जाती थी, मूखिया गांव का प्रतिष्ठित व्यक्ति होता था, चोरी का एक मोटा हिस्सा मुखिया को दिया जाता था। इसीलिए मीणा समाज के लोग गांव के बाहर तरफ ही अपना घर बनाते थे, आज ही मीणा परिवार गांव के बाहर की तरफ ही रहते हैं। ताकि जो भी चोरी किया हुआ सामान गांव के बीचो-बीच ना ले जाना पड़े, यह रात के समय में ऊंट लेकर घूमते थे सारी चोरियां ऊंटों के माध्यम से की जाती थी। लोगों में मीणा समाज का बहुत डर था, इसी वजह सारे लोग इनके साथ बड़े भाईचारे से पेश आते थे। जब भारत आजाद हुआ तो इनको अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया, इन्होंने धीरे-धीरे आरक्षण का फायदा उठाकर अपनी पढ़ाई लिखाई की, धीरे-धीरे मीणा समाज प्रगति करने लगा। मीणा समाज आज ऊंचे ऊंचे पदों पर आसीन है, आरक्षण का इन्होंने पूरा फायदा उठाया और अपने आप को साबित कर दिखाया चोरी जैसे व्यवसाय को यह लोग 40-50 साल पहले ही छोड़ चुके हैं ।