"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 3:
इस साल यह पर्व 29 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस पर्व को मुख्य रूप से बसंत यानि नई फसलों या पेड़ों पर फूल आने का दिन माना जाता है।
 
हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है। ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वर्षा ऋतु और [https://ekdantaganesh.blogspot.com/2020/01/Basant-Panchami.html वसंत] ऋतु। यहसरस्वती पूजा का मौसम बसंत ऋतु का माना गया है। इस मौसम में कई तरह के फूल खिलते हैं। [https://ghumteganesh.com/basant-panchami-images/ बसंत ऋतु में पेड़ों और पौधों पर नई कोंपलें निकलती हैं]। हिन्दू धर्म में इस दिन का खास ही महत्व है। तो आइए, आपको इस पूजा से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताते हैं। जानिए, आखिर यह पूजा क्यों की जाती है और क्यों विशेष रूप से सरस्वती की इस दिन आराधना होती है।
<br />{{Infobox holiday
|holiday_name = वसन्त पंचमी
पंक्ति 25:
}}
 
'''वसंत पंचमी''' या '''श्रीपंचमी''' एक [[हिन्दू]] का त्योहार है। इस दिन [[विद्या]] की [[देवी]] [[सरस्वती]] की [[पूजा]] की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर [[बांग्लादेश]], [[नेपाल]] और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ [[पीला|पीले]] वस्त्र धारण करती हैं।
 
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें [[वसंत]] लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में [[सरसों]] का सोना चमकने लगता, [[जौ]] और [[गेहूँ]] की बालियाँ खिलने लगतीं, [[आम|आमों]] के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी [[तितली|तितलियाँ]] मँडराने लगतीं। भर भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए [[माघ]] महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें [[विष्णु]] और [[कामदेव]] की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान की दीप जाते हैं!