"मुंडा विद्रोह": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Birsa Munda Statue at Naya More.jpg|अंगूठाकार|मुंडा विद्रोह]]
 
[[[https://historyguruji.com/1857-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%b9/ मुंडा]]] जनजातियों ने 18वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक कई बार अंग्रेजी सरकार और भारतीय शासकों, जमींदारों के खिलाफ [[विद्रोह]] किये। [[बिरसा मुंडा]] के नेतृत्‍व में 19वीं सदी के आखिरी दशक में किया गया मुंडा विद्रोह उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जनजातीय आंदोलनों में से एक है।<ref>[http://www.egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/25800/1/Unit15.pdf]</ref> इसे [[उलगुलान]](महान हलचल) नाम से भी जाना जाता है। मुंडा विद्रोह झारखण्ड का सबसे बड़ा और अंतिम रक्ताप्लावित जनजातीय विप्लव था, जिसमे हजारों की संख्या में [https://historyguruji.com/1857-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%b9/ मुंडा आदिवासी] शहीद हुए।<ref>[http://www.rrtd.nic.in/Jharkhand.html]</ref> मशहूर समाजशास्‍त्री और मानव विज्ञानी [[कुमार सुरेश सिंह]] ने [[बिरसा मुंडा]] के नेतृत्‍व में हुए इस आंदोलन पर 'बिरसा मुंडा और उनका आंदोलन' नाम से बडी महत्‍वपूर्ण पुस्‍तक लिखी है।<ref>http://books.google.co.in/books/about/Birsa_Munda_and_his_movement_1872_1901.html?id=lFSgAAAAMAAJ&redir_esc=y</ref>
 
== विद्रोह की पृष्‍ठभूमि ==
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== विद्रोह और उसके बाद ==
1898 में डोम्‍बरी पहाडियों पर [https://historyguruji.com/1857-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%b9/ मुं‍डाओं] की विशाल सभा हुई, जिसमें आंदोलन की पृष्‍ठभूमि तैयार हुई। आदिवासियों के बीच राजनीतिक चेतना फैलाने का काम चलता रहा। अंत में 24 दिसम्बर 1899 को बिरसापंथियों ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड दिया। 5 जनवरी 1900 तक पूरे मंडा अंचल में विद्रोह की चिंगारियां फैल गई। ब्रिटिश फौज ने आंदोलन का दमन शुरू कर दिया। 9 [[जनवरी]] [[1900]] का दिन [[मुंडा]] इतिहास में अमर हो गया जब डोम्बार पहा‍डी पर अंग्रेजों से लडते हुए सैंकडों मुंडाओं ने शहादत दी। आंदोलन लगभग समाप्त हो गया। गिरफ्तार किये गए मुंडाओं पर मुकदमे चलाए गए जिसमें दो को फांसी, 40 को आजीवन कारावास, 6 को चौदह वर्ष की सजा, 3 को चार से छह बरस की जेल और 15 को तीन बरस की जेल हुई।
 
== बिरसा की गिरफ्तारी और अंत ==
[[[https://historyguruji.com/1857-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%b9/ बिरसा मुंडा]]] काफी समय तक तो पुलिस की पकड में नहीं आये थे, लेकिन एक स्थानीय गद्दार की वजह से 3 मार्च 1900 को गिरफ्तार हो गए। लगातार जंगलों में भूखे-प्यासे भटकने की वजह से वह कमजोर हो चुके थे। जेल में उन्हे हैंजा हो गया और 9 जून 1900 को [[रांची]] जेल में उनकी मृत्यु. हो गई। लेकिन जैसा कि बिरसा कहते थे, आदमी को मारा जा सकता है, उसके विचारों को नहीं, बिरसा के विचार मुंडाओं और पूरी आदिवासी कौम को संघर्ष की राह दिखाते रहे। आज भी आदिवासियों के लिए बिरसा का सबसे बड़ा स्था्न है।
 
== इन्हें भी देखें ==