"भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
पंक्ति 1:
{{Infobox Indian Political Party
| party_name = [https://historyguruji.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%a5-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%89%e0%a4%a6%e0%a4%af-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b5/ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी]
| native_name =
| party_logo = [[File:CPI-banner.svg|200px|center]]
पंक्ति 24:
| website = {{URL|http://communistparty.in/}}
}}
'''भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी''' (भाकपा) ({{lang-en|Communist Party of India}}) [[भारत]] का एक [https://historyguruji.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%a5-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%89%e0%a4%a6%e0%a4%af-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b5/ साम्यवादी दल] है। इस दल की स्थापना 26 दिसम्बर 1925 को [[कानपुर]] नगर में हुई थी।<ref>{{cite web|author=समयांतर डैस्क |url=http://www.samayantar.com/marxism-principles-and-practicality/ |title=सिद्धांत और व्यवहार |work= समयांतर|date=फ़रवरी 2013 |accessdate=}}</ref> भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना [[एम एन राय]] ने की। 1928 ई. में [[कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल]] ने ही भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। इस दल के महासचिव डी राजा है। यह भारत की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है। चुनाव आयोग द्वारा इसे राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
 
यह दल 'न्यू एज' (New Age) का प्रकाशन करता है। इस दल का युवा संगठन 'आल इंडिया यूथ फेडरेशन' है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को ५ ४३४ ७३८ मत (१.४%, १० सीटें) मिले। २००९ के संसदीय चुनाव में इस दल को मात्र ४ सीटें मिली। 2014 के संसदीय चुनाव में दल को मात्र 1 सीटें मिली
पंक्ति 31:
कम्युनिस्ट आंदोलन में भाकपा की स्थापना तिथि को लेकर कुछ विवाद है। ख़ुद भाकपा का मानना है कि उसका गठन 25 दिसम्बर 1925 को कानपुर में हुई पार्टी कांग्रेस में हुआ था। लेकिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जो 1964 में हुए पार्टी-विभाजन के बाद बनी थी, का मानना है कि पार्टी का गठन 1920 में हुआ था। माकपा के दावे के अनुसार भारत की इस सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी का गठन 17 अक्टूबर 1920 को कम्युनिस्ट इंटरनैशनल की दूसरी कांग्रेस के तुरंत बाद हुआ था। बहरहाल, यह कहा जा सकता है कि 1920 से ही पार्टी के गठन की प्रक्रिया चल रही थी और इस संबंध में कई समूह भी उभर कर सामने आये थे। लेकिन औपचारिक रूप से 1925 में ही पार्टी का गठन हुआ। इसके शुरुआती नेताओं में [[मानवेन्द्र नाथ राय]], [[अबनी मुखर्जी]], मोहम्मद अली और शफ़ीक सिद्दीकी आदि प्रमुख थे।
 
शुरुआती दौर में पार्टी की जड़ें मज़बूत करने की कोशिश में एम.एन. राय ने देश के दूसरे हिस्सों में सक्रिय कम्युनिस्ट समूहों से सम्पर्क किया। देश के कई शहरों में छोटे-छोटे कम्युनिस्ट समूह थे, लेकिन ये सभी [https://historyguruji.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%a5-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%89%e0%a4%a6%e0%a4%af-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b5/ भाकपा] का अंग नहीं बने। 1920 और 1930 के दशक के दौरान पार्टी का संगठन कमज़ोर हालत में रहा। भाकपा के औपचारिक रूप से गठन होने से पहले ही अंग्रेजों ने कई सक्रिय कम्युनिस्टों के ख़िलाफ़ [[कानपुर बोल्शेविक षड़यंत्र]] के अंतर्गत मुकदमा दायर कर दिया था। एम.एन. राय, [[श्रीपाद अमृत डांगे|एस.ए. डांगे]] सहित कई कम्युनिस्टों पर [[राजद्रोह]] के आरोप लगाये गये। इससे कम्युनिस्ट चर्चित हो गये और पहली बार भारत में आम लोगों को इनके बारे में पता चला। 20 मार्च 1929 को भाकपा से जुड़े बहुत से महत्त्वपूर्ण नेताओं को [[मेरठ षड़यंत्र]] केस में गिरफ्तार कर लिया गया। नतीजे के तौर पर पार्टी नेतृत्वविहीन हो गयी।
 
1933 में प्रमुख नेताओं के मेरठ षड़यंत्र केस से रिहा होने के बाद पार्टी का पुनर्गठन किया गया। इसकी केंद्रीय समिति बनी और 1934 में इसे [[कम्युनिस्ट इंटरनैशनल]] के भारतीय भाग के रूप में स्वीकार किया गया। 1934 में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के भीतर वामपंथी रुझान रखने वाले नेताओं ने [[कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी]] (सीएसपी) का गठन किया। इसके गठन के समय भाकपा के नेताओं ने इसे 'सामाजिक फ़ासीवाद' की संज्ञा दी। लेकिन [[कॉमिन्टर्न]] द्वारा उपनिवेशों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसे दलों के प्रति दृष्टिकोण बदलने से भाकपा के कांग्रेस के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आया। अब भाकपा कांग्रेस की राजनीति को प्रगतिशील मानने लगी। इसके सदस्यों ने कांग्रेस की वामपंथी धारा अर्थात् सीएसपी की सदस्यता ग्रहण की। 1936-1937 के दौरान सोशलिस्टों और कम्युनिस्टों के बीच में आपसी सहयोग काफ़ी बढ़ गया। जनवरी 1936 में सीएसपी की दूसरी कांग्रेस में यह थीसिस स्वीकार की गयी कि [[मार्क्सवाद-लेनिनवाद]] के आधार पर एक संयुक्त भारतीय सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की आवश्यकता है। इसी तरह, सीएसपी की तीसरी कांग्रेस के बाद बनी राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति में कई कम्युनिस्टों को शामिल किया गया।