"योनि": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो 49.15.225.213 द्वारा किये गये 1 सम्पादन पूर्ववत किये। (बर्बरता)। (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 4:
मादा के जननांग को '''योनि''' (वजाइना) कहा जाता है। सामान्य तौर पर "योनि" शब्द का प्रयोग अक्सर भग के लिये किया जाता है, लेकिन जहाँ भग बाहर से दिखाई देने वाली संरचना है वहीं योनि एक विशिष्ट आंतरिक संरचना है।योनि बहुत संवेदनशील होती है.
==
[[चित्र:External female genitalia.jpg|thumb|योनि के भाग <br>
'''1''' - [[क्लिटोरिस हुड]], '''2''' - [[भगशेफ (क्लिटोरिस)]], <br>'''3''' - [[मूत्रमार्ग का छिद्र]], '''4''' - [[योनिद्वार]], <br> '''5''' - [[वृहत भगोष्ठ]], '''6''' - [[लघु भगोष्ठ]], '''7''' - [[गुदा]] ]]
पंक्ति 18:
योनि को चिकना बनाये रखने के लिए श्लेष्मा स्राव गर्भाशय ग्रीवा में मौजूद ग्रंथियों से ही आता है। यह स्राव क्षारीय होता है लेकिन योनि में प्राकृत रूप से पाये जाने वाले बैक्टीरिया ([[डोडर्लिन बेसिलाइ]]) श्लेष्मिक परत में मौजूद ग्लाइकोजन को [[लैक्टिक एसिड]] में बदल देते हैं, जिससे योनि के स्राव की प्रतिक्रिया अम्लीय हो जाती है। इससे योनि में किसी भी तरह का संक्रमण होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
योनि का अम्लीय वातावरण [[शुक्राणु]]ओं के प्रतिकूल होता है लेकिन पुरुष की अनुषंगी लिंग ग्रंथियों से स्रावित होने वाले द्रव क्षारीय होते हैं, जो योनि की अम्लता को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं। डिम्बोत्सर्जन समय के आस-पास गर्भाशय ग्रीवा की ग्रंथियां भी ज्यादा मात्रा में क्षारीय श्लेष्मा का स्राव करती है।
== कार्य ==
|