"यूरोपीय धर्मसुधार": अवतरणों में अंतर

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16वीं शताब्दी के प्रारंभ में समस्त पश्चिमी [[यूरोप]] धार्मिक दृष्टि से एक था - सभी [[ईसाई]] थे; सभी [[रोमन काथलिक चर्च]] के सदस्य थे; उसकी परंपरगत शिक्षा मानते थे और धार्मिक मामलों में उसके अध्यक्ष अर्थात् [[रोम]] के [[पोप]] का शासन स्वीकार करते थे। '''यूरोपीय धर्मसुधार''' अथवा '''रिफॉरमेशन''' 16वीं शताब्दी के उस महान आंदोलन को कहते हैं जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य ईसाइयों की यह एकता छिन्न-भिन्न हुई और [[प्रोटेस्टैंट धर्म]] का उदय हुआ। चर्च के इतिहस में समय-समय पर सुधारवादी आंदोलन होते रहे किंतु वे चर्च के धार्मिक सिद्धातों अथवा उसके शासकों को चुनौती न देकर उनके निर्देश के अनुसार ही नैतिक बुराइयों का उन्मूलन तथा धार्मिक शिक्षा का प्रचार अपना उद्देश्य मानते थे। 16वीं शताब्दी में जो सुधार का आंदोलन प्रवर्तित हुआ वह शीघ्र ही चर्च की परंपरागत शिक्षा और उसके शासकों के अधिकार, दोनों का विरोध करने लगा।
 
धर्मसुधार आंदोलन के परिणामस्वरूप यूरोप में कैथोलिक सम्प्रदाय के साथ-साथ [[लूथर सम्प्रदाय|लूथर सम्प्रदा]]


[[लूथर सम्प्रदाय|य]], [[कैल्विन सम्प्रदाय]], [[एंग्लिकन सम्प्रदाय|एंग्]]

[[एंग्लिकन सम्प्रदाय|लिकन सम्प्रदाय]] और [[प्रेसबिटेरियन संप्रदाय]] प्रचलित हो गये।
 
== इतिहास ==