"न्यायशास्त्र (भारतीय)": अवतरणों में अंतर

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; विशेष
"न्याय" शब्द से वे शब्दसमूह भी व्यवहृत होते हैं जो दूसरे पुरुष को अनुमान द्वारा किसी विषय का बोध कराने के लिए प्रयुक्त होते है। (देखिये [[न्याय (दृष्टांत वाक्य)]]) वात्स्यायन ने उन्हें "परम न्याय" कहा है और वाद, जल्प तथा वितंडा रूप विचारों का मूल एवं तत्त्वनिर्णय का आधार बताया है। (न्या.भा. 1 सूत्र)
 
 
 
 
 
Daya Singh
 
== न्यायशास्त्र का प्रयोजन ==