"परिसंचरण तंत्र": अवतरणों में अंतर

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हृदय में स्वयं संकुचन करने की शक्ति है। वह प्रति मिनट 72 बार संकुचन करता है, अर्थात् एक बार संकुचन में 0.8 सेकंड लगता है। इस काल में 0.1 सेकंड तक अलिंद का संकुंचन होता हैं, शेष 0.7 सेकंड वह शिथिल अवस्था में रहता है। निलय में 0.3 सेकंड तक संकुचन होता है, शेष काल में वह शिथिल रहता है। इस प्रकार सारा हृदय 0.4 सेकंड तक शिथिलावस्था में रहता है। हृदय का संकोच प्रकुंचन (Systole) और शिथिलावस्था अनुशिथिलन (Diastole) कहलाता है।
 
== धमनियाँ (Arteries) ==
धमनियाँ (Arteries) [[हृदय]] से शुद्ध रुधिर को ले जानेवाली लचीली नलियाँ या वाहिकाएँ हैं, जिनके द्वारा रुधिर अंगों में पहुँचता है। हृदय से निकलनेवाली मुख्य महाधमनी है, जो वक्ष में से होती हुई उदर के अंत पर पहुँचकर, दो अंतिम शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं। महाधमनी से शाखाएँ निकलकर अंगों में चली जाती हैं। ज्यों ज्यों शाखाएँ, निकलती जाती हैं, उनका आकार छोटा होता जाता है। ये छोटे आकारवाली धमनिकाएँ[[धमनिका]]एँ (Arterioles) कहलाती हैं। धमिनयों का निकटवर्ती शाखाएँ एक दूसरे से मिल जाती हैं, जिससे यदि एक का मार्ग कट जाता है या रोग के कारण रुक जाता है, तो दूसरी धमनी से उसे विस्तार क्षेत्र में रुधिर पहुँचता रहता है। इसको शाखामिलन (anastomosis) कहते हैं।
 
हृदय से निकलनेवाली दो मुख्य धमनी हैं, [[फुफ्फुस धमनी|फुफ्फुसी]] (pulmonary) और महाधमनी।[[महाधमनी]]। फुप्फुसी धमनी दाहिने निलय से निकलने के पश्चात् दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है और प्रत्येक फुफ्फुस में एक एक शाखा चली जाती है। इस धमनी का प्रयोजन ऑक्सीजन लेने के लिए रुधिर को फुफ्फुस में पहुँचाना है।
[[चित्र:Arterial System en.svg|right|thumb]]
 
=== [[महाधमनी]] ===
हृदय के बाएँ निलय से निकलकर पहले कुछ दाहिनी ओर, तब पीछे की ओर, तत्पश्चात् मुड़ती हुई बाई ओर को चली जाती हैं, जहाँ चौथी वक्ष कशेरुका के बाएँ पार्श्व पर पहुंचकर वहाँ से सीधी नीचे को उतरती हुई वक्ष के अंत तक चली जाती है। इस प्रकार प्रारंभ में इसका जो मोड़ बनता है, वह महाधमनी चाप (Aortic arch) कहलाता है। वक्ष के अंत पर मध्यच्छदा पेशी में से छिद्र द्वारा निकलकर, सारे उदर को पार करती हुई चौथे कटि कशेरुक पर पहुँचकर, दो सामान्य श्रेणि फलक धमनियों में विभक्त होकर समाप्त हो जाती है।
 
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कक्षीय भाग से - (1) वंखीय (thoracic) शाखाएँ - वाहु की पेशियों को; (2) अंसतुंड वक्षीय (ocromiothoracic); (3) अग्रपरिवेष्ठनी; (4) पश्चपरिवेष्ठनी तथा (5) अधोअंसफलकी; बाह्य भाग से, ऊर्ध्व और अधोनितल (superior and inferior profunda) और (6) पेशियों को तथा अस्थिपोषक शाखाओं को।
 
=== अंत:प्रकोष्ठिकाअन्तःप्रकोष्ठिका (Ulna) ===
यह कुहनी कूर्पर (elbow) के सामने से प्रारंभ होकर अग्रबाहु के भीतरी किनारे पर सीधी नीचे हथेली तक चली जाती है और वहाँ अँगूठे की ओर को मुड़कर, बहि:प्रकोष्ठिकाबहिःप्रकोष्ठिका की शाखा के साथ मिलकर उत्तल करतल चाप (superficial palmar arch) बना देती हैं, जिसमें कनिष्ठा, मध्यमा और अनामिका अंगुलियों के दोनों ओर, तर्जनी के केवल भीतरी किनारे पर, शाखाएँ चली जाती हैं। अग्रबाहु में वह सब पेशियों को तथा अस्थियों को पोषक शाखाएँ देती हैं। कुहनी के पास उससे दो आवर्तक शाखाएँ निकलती हैं।
 
=== बहि:प्रकोष्ठिकाबहिःप्रकोष्ठिका (Radial) ===
अग्रबाहु के बाहरी किनारे पर सीधी नीचे मणिबंध पर पहुँचकर, पीछे की ओर को घूमकर, पहली और दूसरी करतल शाखाओं के बीच से पीछे की ओर से करतल में आकर, अंत:प्रकाष्ठिका की एक शाखा से मिलकर, नितल करतल चाप (deep palmar arch) बना देती हैं, जिससे अँगूठे के दोनों ओर और तर्जनी के बहि:पृष्ठ को शाखाएँ जाती हैं। मणिबंध पर इससे दो आवर्तक शाखाएँ निकलती हैं तथा पेशियों और अस्थियों की शाखाएँ जाती हैं।
 
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=== सामान्य श्रोणि फलक धमनियाँ ===
महाधमनी की दो अंतिम शाखाएँ हैं, जो थोड़ा ही आगे चल कर अंत: और बहि: श्रोणिफलकबहिःश्रोणिफलक शाखाओं (internal and external iliac) में विभक्त हो जाती हैं। अंत:शाखा श्रोणि के भीतर जाकर, वहाँ की पेशियों तथा अंगों को शाखाएँ भेजती है। प्रजनन अंगों तथा नितंब की पेशियों में भी इसी से रुधिर जाता है। बहि:श्रोणिफलक धमनी वंक्षणी स्नायु के नीचे से निकलकर ऊरु में आ जाती है और उरुधमनी (Femoral Artery) कहलाती है, जो उरु के समने की ओर सीधी नीचे उसके पीछे की ओर चली जाती है और जानुपृष्ठ पर पहुंचकर, जानुपश्च (popliteal) धमनी कही जाती है। कुछ नीचे उतर कर यह अग्रप्रजंधिका और पश्वजंघिका (anterior tibial) धमनीं नाम की दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। ऊरु में उतरने के पश्चात् ही उससे नितलू (posterior tlbial) धमनीं नाम की दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। ऊरु में उतरने के पश्चात् ही उससे नितलू (profunda) शाखा निकलती है, जिसकी परिवेष्ठक (circumflex) और वेधक (perforating) शाखाएँ ऊरु की पेशियों में तथा अस्थि की रुधिर पहुँचाती हैं।
 
=== अग्रप्रजंधिका ===
यह धमनी [[प्रजंघिका]] और [[अनुजंघिका]] दोनों के बीच में नीचे को पॉवपाँव तक चली जाती है और उसके पृष्ठ पर पहुँचकर पादतल शलाकाओं के बीच अँगुलियों को शाखाएँ भेजती हैं। पश्चजंघिका जंघा के पीछे की ओर नीचे पाँव में पहुँच कर अंत: और बहि:पादतल शाखाओं (external and internal plantar arteries) में अंत हो जाता है। बहि:पादतल शाखाओं से अँगुलियों के दोनों और पादांगुलि शाखाएँ अँगुलियों के अंत तक चली जाती हैं। ये दोनों धमनियाँ पाँव की पेशियों और अस्थि तथा संधियों को रुधिर पहुँचाकर उनका पोषण करती हैं।
 
== शिराएँ (Veins) ==