"तारणपंथ": अवतरणों में अंतर
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विश्वरत्न परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् जिन तारण तरण मण्डलाचार्य महाराज जी का
संक्षिप्त परिचय
बालावस्था = श्री पुष्पावती बिलहरी,सेमलखेडी,सिरोंज,चंदेरी आप बचपन से ही अत्यंत प्रज्ञावान और वैराग्यवान थे ।
शिक्षा = शिक्षा चंदेरी में भट्टारक देवेन्द्र कीर्ति द्वारा।
आत्म चिंतन-सेमरखेडी के निकट वन स्थली में अध्यन चिंतन मनन एवं आत्म आराधना (गुफाओं में) आत्मा का ध्यान
मुनि दीक्षा =60वर्ष की आयु में( मिति अगहन सुदी सप्तमी विक्रम संवत् 1565)
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ममल मत श्री चौबीसठाणा जी (5 अध्याय) श्री भय षिपनिक ममलपाहुङ जी (164 फूलना 3200 गाथा)
केवल मत श्री षातिका विसेष जी (104 सूत्र ) श्री सिद्ध सुभाव जी (20 सूत्र ) श्री सुन्न सुभाव जी (32 सूत्र ) श्री छद्मस्थ वाणी जी (12अधिकार में 565 सूत्र) श्री नाममाला जी (43,45,331 शिष्यों की संख्या ) इस प्रकार पाँच मतों में 14 ग्रंथो की रचना करी ।
समाधि = ज्येष्ठ वदी छठ विक्रम संवत 1572 (ईसवी सन् 1515 ) में सम्यक् समाधि पूर्वक देह त्याग किया। श्री निसई जी मल्हारगढ़ (मुंगावली)जिला - अशोकनगर म•प्र• में किया ।
तदि स्वार्थ सिद्धि उत्पन्न
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