"रोमिला थापर": अवतरणों में अंतर

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== लेखन कार्य ==
रोमिला थापर का लेखन कार्य मुख्यतः प्राचीन भारत के इतिहास पर केन्द्रित रहा है। ईसाउन्होंने भारत के प्राचीन इतिहास को एक नयी दृष्टि से देखा है और प्राच्यवादी निरंकुशता, आर्य प्रजाति और अशोक की छठीअहिंसा शताब्दीसंबंधी केस्थापित मान्यताओं का खंडन अध्ययनकरते मेंहुए उनकाअनुसंधान अद्वितीयका योगदानदायरा मानाविकसित गयाकिया है। विशेषतः [[सम्राट अशोक]] के काल पर उन्होंने विस्तार से विचार किया है। उनके कार्य सामाजिक इतिहास के क्षेत्र में अग्रगण्य रहे हैं। आगे चलकर उन्होंने संस्कृति, समाज एवं इतिहास के बीच कड़ियों का पता लगाया। उन्होंने इसका भी अन्वेषण किया कि इतिहास कैसे बनते और प्रस्तुत किये जाते हैं। अपने लेखन से उन्होंने सचेत किया है कि राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास की गलत व्याख्या न की जाय। उन्होंने राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता पर बल दिया है।<ref name="क">''कर्मठ महिलाएं'', सं॰ रितु मेनन, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, संस्करण-2006, पृष्ठ-56.</ref>
 
== मानद उपाधियाँ एवं सम्मान ==