"उपनिवेश": अवतरणों में अंतर

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14वीं शताब्दी तथा उसके अनंतर यूरोप एशिया से आगे बढ़ गया तथा वाणिज्य एवं अन्वेषण द्वारा अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागरों के आर पार उसने अपना अधिकार बढ़ा लिया। 16वीं शताब्दी में मध्य तथा दक्षिण अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना हुई। पुर्तगाल ने ब्राजील, भारत के पश्चिमी समुद्रतट तथा मसालोंवाले पूर्वी द्वीपसमूहों में अपना अड्डा जमाया। इन्हीं का अनुकरण कर, फ्रांस, इंग्लैंड एवं हालैंड ने उत्तरी अमरीका तथा पश्चिमी द्वीपसमूह में उपनिवेशों की तथा अफ्रीका के समुद्रतट पर, भारत तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया में व्यापारिक केंद्रों की स्थापना की। डेेनमार्क तथा स्वीडन निवासी भी, इन लोगों से पीछे नहीं रहे। किंतु मुख्य औपनिवेशिक शक्तियाँ इंग्लैंड, फ्रांस तथा हालैंड की ही सिद्ध हुई। इन तीनों के साम्राज्य में "सूर्य कभी नहीं अस्त होता था" तथा एशिया और अफ्रीका, मानव सभ्यता के आदि देश, के अधिकांश भागों पर, इनका अधिकार हो गया।
 
[[औद्योगिक क्रांति]] तथा आर्थिक रीतियों के नवीनतम रूपों के ढूँढ़ निकालने के साथ ही पश्चिम के राष्ट्रों में साम्राज्य के लिए छीना-झपटी चलती रही। यह एक लंबी कहानी है, जिसका वर्णन यहाँ नहीं किया जा सकता। किंतु इसक ज्ञान आवश्यक है कि जहाँ कहीं भी विस्तार की संभावना थी, पूँजीवाद अपने नए साम्राज्यवादी रूप में सामने आया। इसलिए जर्मनी, [https://www.techappen.xyz/ 19वीं शताब्दी] के उत्तरार्ध में, संसार में अपने अस्तित्व के लिए भूमि चाहता था, अर्थात् दूसरे शब्दों में, उपनिवेश की लूट-खसोट में हिस्सा बँटाना चाहता था। इटली ने भी इस दौड़ में भाग लिया। रूस, सारे उत्तरी तथा मध्य एशिया में फैलकर, ब्रिटेन को भयभत करने लगा। संयुक्त अमरीका तक प्रत्यक्ष रूप से, जैसे फ़िलीपाइंस में तथा अन्य बहुत से क्षेत्रों पर, अप्रत्चक्ष रूप से शासन करने लगा। जापान ने पश्चिमी साम्राज्यवादियों से शिक्षा प्राप्त की तथा पहले कोरिया फिर संपूर्ण पूर्वी एशिया पर, अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहा। महान देश भारत, जो अंग्रेजों के प्रत्यक्ष अधिकार में था, तथा चीन, जो नाममात्र के लिए स्वतंत्र किंतु वस्तुत: कई शक्तियों की गुलामी में जकड़ा हुआ था, उपनिवेश प्रथा के मूर्त उदहारण हैं। इतिहास के इस रूप की अन्य विशेषताएँ अफ्रीका के भीतरी भागों में प्रवेश, लाभदायक दासव्यापार की विभीषिका, उसकी भूमि का बँटवारा और प्रतिस्पर्धा, साम्राज्यवादियों द्वारा उसके साधनों का निर्दय शोषण आदि है।
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि भौगोलिक अनुसंधान तथा उपनिवेशों की स्थापना के लिए बहुत से लोगों में दुस्साहसिक कार्य के प्रति अनुराग तथा इसकी क्षमता आवश्यक थी, किंतु उपनिवेशस्थापन के पीछे दुस्साहस ही प्रमुख शक्तिस्रोत के रूप में नहीं था। व्यापारिक लाभ सबसे बड़ा कारण था तथा राज्यविस्तार के साथ व्यापार का विस्तार होने के कारण क्षेत्रीय विजय आवश्यक थी। बहुधा दूरस्थ उपनिवेशों के लिए यूरोप में युद्ध होते थे। इस तरह हालैंड ने पुर्तगाल को दक्षिण पूर्वी एशिया के पूर्वी द्वीपसमूह से निकाल बाहर किया। इंग्लैंड ने कैनाडा, भारत तथा अन्य स्थानों से फ्रांस को निकाल बाहर किया। जर्मन युद्धविशेषज्ञ फान मोल्तके ने एक बार कहा था, ""पूर्वी बाजार ने इतनी शक्ति संचित कर ली है कि वह युद्ध में सैन्य संचालन करने में भी समर्थ है।"" जब मैक्सिम द्वारा बंदूक का प्रसिद्ध आविष्कार हुआ, अन्वेषक स्टैन्ली (जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती डॉ॰ लिविंग्स्टन का पता अफ्रीका में लगाया) ने कहा था, "" यह एक आग्नेयास्त्र है जो मूर्तिपूजकों को दबाने में अमूल्य सिद्ध होगा।"" साम्राज्य के समर्थकों (यथा रुडयार्ड किपलिंग) द्वारा ""श्वेतों की जिम्मेदारी"" के रूप में एक पुराणरूढ़ दर्शन (मिथ्) ही प्रस्तुत कर लिया गया। "नेटिव" शब्द का प्रयोग "नियम रहित निम्नस्तर जाति" जिनका भाग्य ही श्वेतों द्वारा शासित होता था, के अपमानजनक अर्थ में होने लगा।