"मृगनयनी": अवतरणों में अंतर
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==कथासार==
<ref>[http://www.favreads.in/book-review/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A5%80/ मृगनयनी]</ref>
ग्वालियर के दक्षिण-पश्चिम में राई नामक ग्राम मे निम्मी और उसका भाई अटल रहते थे। लाखी, निम्मी की सखी थी। निम्मी और लाखी के सौन्दर्य और लक्ष्यवेध की चर्चा [[मालवा]] की राजधानी माण्डू, मेवाड़ की राजधानी [[चित्तौड़]] और गुजरात की राजधानी अहमदाबाद तक पहुची। उस समय दिल्ली के तख्त पर [[गयासुद्दीन खिलजी]] बैठ चुका था। माण्डू के बादशाह बर्बरा और गयासुद्दीन ने निम्मी और लाखी को प्राप्त करने की योजनाएँ बनाई। राई गाँव के पुजारी ने उनके सौन्दर्य और लक्ष्यवेध प्रशंसा ग्वालियर के '''राजपूत''' राजा '''मानसिंह'''
लाखी की माँ मर गई, इसलिए लाखी, निम्मी और अटल के पास रहने लगी। गयासुद्दीन खिलजी ने, नटो के सरदार को निम्मी और लाखी को लाने के लिए, योजना तैयार की। नटों और नटनियों ने निम्मी और लाखी को फुसलाना प्रारम्भ किया।
एक दिन राजपूत राजा मानसिंह शिकार खेलने राई गाँव पहुँचे। निम्मी के सौन्दर्य और शिकार मे लक्ष्यवेध से मुग्ध होकर [[विवाह]] करके उसे ग्वालियर ले गये।
अटल गूजर था और लाखी अहीर। गाववालों ने अटल और लाखी के विवाह का विरोध किया। पुजारी ने उनका विवाह नही कराया । वे नटों के दल के साथ नरवर के किले की तरफ आ गये। लाखी को नटों के षडयंत्र का पता लग गया, इसलिए उसने उनके षडयन्त्र को विफल कर उन्हे समाप्त कर दिया। महाराजा ठाकुर मानसिंह अटल और लाखी को ले गए और ग्वालियर मे उनका विवाह हुआ ।
निम्मी, विवाह के पश्चात 'मृगनयनी' के नाम से प्रसिद्ध हुई। मृगनयनी के पहले राजा के आठ पत्नियाँ थीं जिनमे सुमनमोहिनी सबसे बड़ी थी। सुमनमोहिनी के सौतिया डाह की झेलते हुए, मृगनयनी राजा को कर्तव्यपथ की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा देती रही। मृगनयनी मे चित्रकला और संगीतकला का अध्ययन प्रारम्भ किया और मानसिंह ने भी चित्रकला, संगीतकला, मूर्तिकला और भवन निर्माणकला के विकास मे हाथ बढाया। [[नरवर दुर्ग|नरवर के किले]] पर [[सिकन्दर लोदी]] का आक्रमण हुआ। मृगनयनी ने कला के साथ कर्तव्य की प्रेरणा भी राजा को दी। मृगनयनी के कहने से सुमनमोहिनी का पुत्र विक्रमसिंह राज्याधिकारी हुआ।
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