"ब्रज": अवतरणों में अंतर

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| '''[[राज्य]]'''
| [[उत्तर प्रदेश मोहम्मद उस्मान अली]7533800966]
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| '''[[भाषाएँ]]'''
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| [[गाय]] एवं [[बैल]]
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| '''क्षेत्रीय वाहन'''4655h
| [[बैलगाड़ी]]
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[[चित्र:*Bindrabun -Vrindavan-. Gate of Shet Lukhmeechund's Temple; a photo by Eugene Clutterbuck Impey, 1860's.jpg|right|thumb|300px|शेठ लक्ष्मीचन्द मन्दिर का द्वार (१८६० के दशक का फोटो)]]
 
वर्तमान समय में [[उत्तर प्रदेश]] के [[मथुरा]] नगर सहित वह भू-भाग, जो [[श्रीकृष्ण]] के जन्म और उनकी विविध [[लीला]]ओं से सम्बधित है, '''ब्रज''' कहलाता है। इस प्रकार ब्रज वर्तमान मथुरा मंडल और प्राचीन शूरसेन प्रदेश का अपर नाम और उसका एक छोटा रूप है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महाबन, वलदेव, नन्दगाँव, वरसाना, डीग ,कामबन और होडल आदि भगवान श्रीकृष्ण के सभी लीला-स्थल सम्मिलित हैं। उक्त ब्रज की सीमा को चौरासी कोस माना गया है। [[सूरदास]] तथा अन्य [[व्रजभाषा]] के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने [[भागवत पुराण]] के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र 'मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से पृथक वतलाया है। ब्रज क्षेत्र में आने वाले प्रमुख नगर ये हैं- [[मथुरा]], [[जलेसर]], [[भरतपुर]], [[आगरा]9027672087], [[हाथरस]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]], [[इटावा]], [[मैनपुरी]], [[एटा]],[[फ़र्रूख़ाबाद]] [[कासगंज]], [[फिरोजाबाद]] और [[पलवल]]।
 
'''ब्रज''' शब्द [[संस्कृत]] धातु 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ गतिशीलता से है। जहां [[गाय]] चरती हैं और विचरण करती हैं वह स्थान भी ब्रज कहा गया है। [[अमरकोश]] के लेखक ने ब्रज के तीन अर्थ प्रस्तुत किये हैं- गोष्ठ ([[गाय|गायों]] का बाड़ा), मार्ग और वृंद (झुण्ड)। [[संस्कृत]] के व्रज शब्द से ही हिन्दी का ब्रज शब्द बना है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ब्रज" से प्राप्त