"सत्य युग": अवतरणों में अंतर

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चार प्रसिद्ध [[युग|युगों]] में '''सतयुग''' या '''परिस्तानकृतयुग''' प्रथम माना गया है।<ref>{{cite web|title=हिंदू सनातन धर्म: क्या है चार युग? |url=http://hindi.webdunia.com/हिंदू-सनातन-धर्म/हिंदू-सनातन-धर्म-क्या-है-चार-युग-1101023046_1.htm |publisher=वेबदुनिया |date=२३ अक्टूबर २०१० |accessdate=२३ जून २०१४}}</ref> यद्यपि प्राचीनतम वैदिक ग्रंथों में सतयुग, त्रेतायुग आदि युगविभाग का निर्देश स्पष्टतया उपलब्ध नहीं होता, तथापि [[स्मृति|स्मृतियों]] एवं विशेषत: [[पुराण|पुराणों]] में चार युगों का सविस्तार प्रतिपादन मिलता है।
 
पुराणादि में सत्ययुग के विषय में निम्नोक्त विवरण मिलता है -
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<table border="1" cellspacing="0">
<caption> '''चारों युग''' </caption>
<tr><td> 4 चरण (25001,728,000 [[सौर वर्ष]])</td><td>[[सत युग]] </td></tr>
<tr><td> 3 चरण (25001,296,000 सौर वर्ष) </td><td>[[त्रेता युग]] </td></tr>
<tr><td> 2 चरण (2500864,000 सौर वर्ष)</td><td>[[द्वापर युग]] </td></tr>
<tr><td> 1 चरण (2500432,000 सौर वर्ष)</td><td>[[कलि युग]] </td></tr></table>
 
== सन्दर्भ ==