"ईरान": अवतरणों में अंतर
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ईरान का प्राचीन नाम फ़ारस था। इस नाम की उत्पत्ति के पीछे इसके साम्राज्य का इतिहास शामिल है। बेबीलोन के समय (
ईरान (या एरान) शब्द [[आर्य]] मूल के लोगों के लिए प्रयुक्त शब्द ''एर्यनम'' से आया है, जिसका अर्थ है [[आर्य|आर्यों]] की भूमि। [[हख़ामनी साम्राज्य|हख़ामनी]] शासकों के समय भी ''आर्यम'' तथा ''एइरयम'' शब्दों का प्रयोग हुआ है। ईरानी स्रोतों में यह शब्द सबसे पहले अवेस्ता में मिलता है। अवेस्ता ईरान में आर्यों के आगमन (दूसरी सदी ईसापूर्व) के बाद लिखा गया ग्रंथ माना जाता है। इसमें आर्यों तथा अनार्यों के लिए कई छन्द लिखे हैं और इसकी पंक्तियाँ [[ऋग्वेद]] से मेल खाती है। लगभग इसी समय भारत में भी आर्यों का आगमन हुआ था। पार्थियन शासकों ने ''एरान'' तथा ''आर्यन'' दोनों शब्दों का प्रयोग किया है। बाहरी दुनिया के लिए १९३५ तक नाम फ़ारस था। सन् १९३५ में [[रज़ाशाह पहलवी]] के नवीनीकरण कार्यक्रमों के तहत देश का नाम बदलकर फ़ारस से ईरान कर दिया गया थ।
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