"मथुरा": अवतरणों में अंतर
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पुराण कथा अनुसार शूरसेन देश की यहाँ राजधानी थी। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। भारतवर्ष का वह भाग जो [[हिमालय]] और [[विंध्याचल]] के बीच में पड़ता है, जो प्राचीनकाल में आर्यावर्त कहलाता था। यहाँ पर पनपी हुई भारतीय संस्कृति को जिन धाराओं ने सींचा वे [[गंगा नदी|गंगा]] और [[यमुना नदी|यमुना]] की धाराएं थीं। इन्हीं दोनों नदियों के किनारे [[भारतीय संस्कृति]] के कई केन्द्र बने और विकसित हुए। [[वाराणसी]], [[प्रयाग]], [[कौशाम्बी]], [[हस्तिनापुर]],[[कन्नौज]] आदि कितने ही ऐसे स्थान हैं, परन्तु यह तालिका तब तक पूर्ण नहीं हो सकती जब तक इसमें मथुरा का समावेश न किया जाय। यह आगरा से दिल्ली की ओर और [[दिल्ली]] से [[आगरा]] की ओर क्रमश: 58 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम एवं 145 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में यमुना के किनारे [[राष्ट्रीय राजमार्ग]] 2 पर स्थित है।
[[वाल्मीकि रामायण]] में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है तथा यहाँ
== शहर ==
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