"हिन्दू काल गणना": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:हिन्दू समय.JPG|250px|thumb|right|हिन्दू समय मापन, लघुगणकीय पैमाने पर]]
<!---[[File:Bhaskar Yantra Dongala Ujjain India (2).jpg|thumb|डोंगला [[उज्जैन]] स्थित भास्कर यंत्र]]--->
प्राचीन [[हिन्दू]] खगोलीयधार्मिक और पौराणिक पाठ्यों में वर्णित '''समय चक्र''' आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय मापन पद्धतियां, अभी भी प्रयोग में हैं (मुख्यतः हिन्दू और जैन धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में)।
 
इसके साथ साथ ही हिन्दू ग्रन्थों मॆं लम्बाई, -क्षेत्र-भार, क्षेत्रफ़ल मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लेखित हैं।यह सभी [[सुरत शब्द योग]] में भी पढ़ाईप्रयोग जातींमें हैं।
 
हिन्दू ब्रह्माण्डीय समय चक्र [[सूर्य सिद्धांत]] के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं।<ref>Ebenezer Burgess. "Translation of the Surya-Siddhanta, a text-book of Hindu Astronomy", ''Journal of the American Oriental Society'' '''6''' (1860): 141–498.</ref>:
 
(श्लोक 11) वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता है; और वह जो त्रुटि से आरम्भ होता है, अवास्तविक कहलाता है। छः श्वास से एक विनाड़ी बनती है। साठ श्वासों से एक नाड़ी बनती है।