"पदावली": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 5:
ए सखि हामारि दुखेर नाहि ओर।
ए भरा बादर माह भादर शून्य मन्दिर मोर
झञझा घन गरजन्ति सन्तति भुबन भरि बरिखिन्तिया।
कान्त पाहुन काम दारुण सघने खर शर हन्तिया
कुशिल शत शत पात-मोदित मूर नाचत मातिया।
मत्त दादुरी डाके डाहुकी फाटि याओत छातिया
तिमिर भरि भरि घोर यामिनी थिर बिजुरि पाँतिया।
बिद्यापति कह कैछे
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पंक्ति 47:
हाथक दरपण माथक फुल ।
देहक सरबस गेहक सार ॥
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