"पदावली": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति 5:
ए सखि हामारि दुखेर नाहि ओर।
 
ए भरा बादर माह भादर शून्य मन्दिर मोर ||३||॥३॥
 
झञझा घन गरजन्ति सन्तति भुबन भरि बरिखिन्तिया।
 
कान्त पाहुन काम दारुण सघने खर शर हन्तिया ||७||॥७॥
 
कुशिल शत शत पात-मोदित मूर नाचत मातिया।
 
मत्त दादुरी डाके डाहुकी फाटि याओत छातिया ||११||॥११॥
 
तिमिर भरि भरि घोर यामिनी थिर बिजुरि पाँतिया।
 
बिद्यापति कह कैछे गोङाय়बिगोङायबि हरि बिने दिन रातिया ||१५||॥१५॥
 
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पंक्ति 47:
हाथक दरपण माथक फुल ।
 
नय়नकनयनक अञ्जन मुखक ताम्बुल ॥
 
हृदय়कहृदयक मृगमद गीमक हार ।
 
देहक सरबस गेहक सार ॥