"गुरु अमर दास": अवतरणों में अंतर
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तेरी उपमा तोहि बनि आवै॥ १॥ पृष्ठ १३९६
गुरू अमर दास जी सिख पंथ के एक महान प्रचारक थे। जिन्होंने गुरू नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढाया। ÷तृतीय नानक' गुरू अमर दास जी का जन्म बसर्के गिलां जो कि अमृतसर में स्थित है, में वैसाख सुदी १४वीं (८वीं जेठ), सम्वत १५३६ को हुआ था। उनके पिता
एक बार गुरू अमरदास साहिब जी ने बीबी अमरो जी (गुरू अंगद साहिब की पुत्राी) से गुरू नानक साहिब के शबद् सुने। वे इससे इतने प्रभावित हुए कि गुरू अंगद साहिब से मिलने के लिए खडूर साहिब गये। गुरू अंगददेव साहिब जी की शिक्षा के प्रभाव में आकर गुरू अमर दास साहिब ने उन्हें अपना गुरू बना लिया और वो खडूर साहिब में ही रहने लगे। वे नित्य सुबह जल्दी उठ जाते व गुरू अंगद देव जी के स्नान के लिए ब्यास नदी से जल लाते। और गुरू के लंगर लिए जंगल से लकड़ियां काट कर लाते।
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