"कल्पनाथ राय": अवतरणों में अंतर

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मऊ की धरती आज भी इंतजार करती है कि कब कोई कल्पनाथ जैसा शिल्पिकार आयेगा और उसे विकाश की बुलंदी पर पहुंचाएगा।
 
अजीत बेरोजगार की कलम से ✍️
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