"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर

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=== काव्य ===
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1. बारदोली-विजय संदेश (1928)
 
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5. रसवन्ती (1939)
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6.द्वंद्वगीत (1940)
 
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10. बापू (1947)
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11. इतिहास के आँसू (1951)
 
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15. दिल्ली (1954)
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16. नीम के पत्ते (1954)
 
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20. कवि-श्री (1957)
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21. सीपी और शंख (1957)
 
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25. परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
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26. आत्मा की आँखें (1964)
 
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30. हारे को हरिनाम (1970)
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31. संचियता (1973)
 
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34. उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (1974)
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=== गद्य ===
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35. मिट्टी की ओर 1946
 
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39. हमारी सांस्कृतिक एकता 1955
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40. [[भारत की सांस्कृतिक कहानी (गद्य)|भारत की सांस्कृतिक कहानी]] 1955
 
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44. राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता 1955
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45. [[काव्य की भूमिका]] 1958
 
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49. वट-पीपल 1961
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50. लोकदेव नेहरू 1965
 
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54. हे राम! 1968
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55. संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ 1970
 
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59. चेतना की शिला 1973
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60. विवाह की मुसीबतें 1973
 
61. आधुनिक बोध 1973
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[[आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी]] ने कहा था "दिनकरजी अहिंदीभाषियों के बीच हिन्दी के सभी कवियों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थे और अपनी मातृभाषा से प्रेम करने वालों के प्रतीक थे।" [[हरिवंश राय बच्चन]] ने कहा था "दिनकरजी को एक नहीं, बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिन्दी-सेवा के लिये अलग-अलग चार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने चाहिये।" [[रामवृक्ष बेनीपुरी]] ने कहा था "दिनकरजी ने देश में क्रान्तिकारी आन्दोलन को स्वर दिया।" [[नामवर सिंह]] ने कहा है "दिनकरजी अपने युग के सचमुच सूर्य थे।"
प्रसिद्ध साहित्यकार [[राजेन्द्र यादव]] ने कहा था कि दिनकरजी की रचनाओं ने उन्हें बहुत प्रेरित किया। प्रसिद्ध रचनाकार [[काशीनाथ सिंह]] के अनुसार 'दिनकरजी राष्ट्रवादी और साम्राज्य-विरोधी कवि थे।'