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सन्यासी विद्रोहियों ने अपनी स्वतंत्र सरकार बोगरा में बनाई
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[[बांग्ला भाषा]] के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] का सन १८८२ में रचित उपन्यास [[आनन्द मठ]] इसी विद्रोह की घटना<ref>निहालचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ''बंकिम समग्र'' [[1989]] हिन्दी प्रचारक संस्थान [[वाराणसी]] पृष्ठ ९९१ </ref> पर आधारित है।
सन्यासी विद्रोहियों ने अपनी स्वतंत्र सरकार बोग्रा में बनाई मैमनसिंह के नेतृत्व में
 
== सन्दर्भ ==