"सिकन्दर बाग़": अवतरणों में अंतर

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वर्षों के दौरान बाग़ में जगह जगह से अकस्मात निकल आये तोप के गोले, तलवार और ढालें, बंदूक और राइफल के टुकड़े, अब एक संग्रहालय में सुरक्षित रखे गये हैं। बाग़ की दीवारों पर इस द्वंद के दौरान पड़े निशान इस ऐतिहासिक घटना की गवाही देते हैं।
 
इस लड़ाई का स्मरण कराती एक वीरांगना[[दलित]] महिला [[ऊदा देवी पासी]] की एक मूर्ति उद्यान परिसर में कुछ साल पहले ही स्थापित की गयी है। ऊदा देवी घिरे हुये भारतीय सैनिकों की ओर से लड़ी थी। ऊदा देवी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर एक ऊँचे पेड़ पर डेरा जमाया था। उसके पास कुछ गोला बारूद और एक बंदूक थी। जब तक उसके पास गोला बारूद था उसने ब्रिटिश हमलावर सैनिकों को बाग में प्रवेश नहीं करने दिया था पर जब उसका गोला बारूद खत्म हो गया उसे ब्रिटिश सैनिकों द्वारा गोलियों से छलनी कर दिया गया।
 
== सन्दर्भ ==