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==लेनिनवाद के मुख्य सिद्धान्त==
लेनिनवाद क्रांतिकारी राजनीतिक कार्रवाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, और इस कार्रवाई की बागडोर उसने पेशेवर क्रांतिकारियों द्वारा संचालित और लोकतांत्रिक केंद्रवाद पर आधारित अनुशासित [[कम्युनिस्ट पार्टी]] को थमायी है। लेनिनवाद की मान्यता है कि मज़दूर वर्ग केवल अपने आर्थिक संघर्षों और अन्य राजनीतिक गतिविधियों के चलते स्वतःस्फूर्त ढंग से क्रांतिकारी नहीं बन सकता। उसके लिए क्रांतिकारी चेतना की वाहक यह पार्टी ही बनेगी। लेनिनवाद का यह दूसरा पहलू भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। कुछ विद्वान तो यह भी मानते हैं कि पार्टी-संगठन का उसूल ही लेनिनवाद का मर्म है और इसी में एक पार्टी की हूकूमत वाले राज्य की संकल्पना निहित है। बीसवीं सदी के एकदम शुरुआत में रूसी सामाजिक जनवादी पार्टी के भीतर संघर्ष करते हुए लेनिन ने रूसी परिस्थिति को जर्मन परिस्थिति से अलग दिखाते हुए एक जन-आधारित पार्टी के बजाय गोपनीय राजनीति में माहिर एक छोटी और अनुशासित कार्यकर्त्ता आधारित पार्टी बनाने की तजवीज़ की थी। पेशेवर सर्वहारा क्रांतिकारियों की यह पार्टी उस क्रांतिकारी-लोकतांत्रिक रुझान की वाहक होनी थी जिसे लेनिन की क्रांति-पूर्व रचनाओं, विशेषकर 'स्टेट ऐंड रेवोल्यूशन' में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, हालाँकि इस रचना में पार्टी के सवाल पर कोई चर्चा नहीं है। लेनिन का पार्टी संबंधी चिंतन 1918 से 1922 के बीच फिर से सामने आया जब नवजात सोवियत राज्य आर्थिक घेरेबंदी, विदेशी आक्रमण और गृह युद्ध से जूझ रहा था। इस दौरान लेनिन की पार्टी का जो स्वरूप उभरा, उसके कई पहलू पहले वाले क्रांतिकारी- लोकतांत्रिक रुझान के अनुकूल नहीं थे। अधिनायकत्व की
 
'''पार्टी-संगठन''' संबंधी लेनिनवाद के निर्देशों को संक्षेप में इस प्रकार देखा जा सकता है :