"डाक सूचक संख्या": अवतरणों में अंतर
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'''डाक सूचक संख्या''' या '''पोस्टल इंडेक्स नंबर''' (लघुरूप: पिन नंबर) एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। ये विशिष्ट संख्या डाक के द्वारा भेजी जानें वाली हर प्रकार की सामग्री को सही गन्तव्य तक पहुंचने में मददगार है। भारत में पिन कोड में ६ अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है। पिन प्रणाली को [[१५ अगस्त]] [[१९७२]] को आरंभ किया गया था।<ref name="भा रा पो">[http://bharat.gov.in/pincodes.php भारत के राष्ट्रीय पोस्टल पर]</ref>
== पिन कोड
[[चित्र:IndiaPincodeMap.gif|right|thumb|300px|भारत में पिनकोड का वितरण]]
भारत में 9 पिन क्षेत्र हैं। पिनकोड का पहला अंक भारत (देश) के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों में से किसी एक डाक वृत को दर्शातें हैं। पहले 3 अंक मिलकर जिले को दर्शाते हैं जबकि अंतिम 3 अंक सुपुर्दगी करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांख्यिक कूट भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार डाक को छांटने का कार्य अत्यन्त सरल बना देते हैं।
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