"वेदान्त दर्शन": अवतरणों में अंतर

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आचार्य [[उदयवीर शास्त्री]] के अनुसार ‘वेदान्त’ पद का तात्पर्य है-
: ''वेदादि में विधिपूर्वक अध्ययन, मनन तथा उपासना आदि के अन्त में जो तत्त्व जाना जाये उस तत्त्व का विशेष रूप से यहाँ निरूपण किया गया हो, उस शास्त्र को ‘वेदान्त’ कहा जाता है।''है।sitaram
 
==वेदान्त का साहित्य==