"शास्त्रीय नृत्य": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 24:
{{मुख्य|कथक}}
[[चित्र:Sharmila Sharma et Rajendra Kumar Gangani 2.jpg|thumb|right|200px|शर्मीला शर्मा और राजेन्द्र कुमार कथक करते हुए]]
कथकउत्तर भारत का एक प्रमुख [https://currentaffairs24study.blogspot.com/2020/02/Classical-dance.html?m=1 लोक नृत्य] के रूप में प्रसिद्ध है ।कथक का नृत्‍य रूप 100 से अधिक घुंघरु‍ओं को पैरों में बांध कर तालबद्ध पदचाप, विहंगम चक्‍कर द्वारा पहचाना जाता है और हिन्‍दु धार्मिक कथाओं के अलावा पर्शियन और उर्दू कविता से ली गई विषयवस्‍तुओं का नाटकीय प्रस्‍तुतीकरण किया जाता है। कथक का जन्‍म उत्तर में हुआ किन्‍तु पर्शियन और मुस्लिम प्रभाव से यह मंदिर की रीति से दरबारी मनोरंजन तक पहुंच गया।
 
कथक की शैली का जन्‍म [[ब्राह्मण]] पुजारियों द्वारा हिन्‍दुओं की पारम्‍परिक पुन: गणना में निहित है, जिन्‍हें क‍थिक कहते थे, जो नाटकीय अंदाज में हाव भावों का उपयोग करते थे। क्रमश: इसमें कथा कहने की शैली और अधिक विकसित हुई तथा एक नृत्‍य रूप बन गया। उत्तर भारत में मुगलों के आने पर इस नृत्‍य को शाही दरबार में ले जाया गया और इसका विकास ए परिष्कृत कलारूप में हुआ, जिसे मुगल शासकों का संरक्षण प्राप्‍त था और कथक ने वर्तमान स्‍वरूप लिया। इस नृत्‍य में अब धर्म की अपेक्षा सौंदर्य बोध पर अधिक बल दिया गया।