"भारत की संस्कृति": अवतरणों में अंतर

छो गोंडवाना समुदाय की वह बातें जो आज के बहुत ही काम लोग परिचित होंगे।
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
विश्व संस्कृति की जननी,आदिवासी(कोया, गोंडी)संस्कृति रही है।
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
'''[[भारत]] की संस्कृति''' बहुआयामी है जिसमें [[भारत का इतिहास|भारत का महान इतिहास]], विलक्षण [[भारतीय भूगोल|भूगोल]] और [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिन्धु घाटी की सभ्यता]] के दौरान बनी और आगे चलकर [[वैदिक सभ्यता|वैदिक युग]] में विकसित हुई, भारत में "कोया संस्कृति" स्वर्ण '''युग''' फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन गोंडवाना विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश नहीं है। पिछलीखुद पाँचके भाषा,बोली,लिपि, तीज, त्यौहार, नृत्य,गीत,इतिहास पिछली सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, [[भारत की भाषाएँ|भाषाएँ]], प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। [[भारत]] कई [[भारतीय धर्म|धार्मिक प्रणालियों]], जैसे कि [[हिन्दू धर्म]], [[जैन धर्म]], [[बौद्ध धर्म]] और [[सिख धर्म]] जैसे धर्मों का जनक है।
इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और '''परम्पराओं''' ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।