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'''एक लेख लिखना'''<br/><span style="font-size:75%;color:white;" class="plainlinks">सीखें आप एक लेख कैसे निर्मित कर सकते हैं।</span>
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केशरवानी समाज
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*केशरवानी मूलरूप से कश्मीर के निवासी है , केशरवानी समाज के कुलगोत्र भगवान महर्षि कश्यप जी है , भगवान महर्षि कश्यप जी के नाम पर हमारे राज्य का नाम कश्मीर पड़ा , वास्तव में केशरवानी कश्मीरी ब्राम्हण ( पंडित ) है , मुस्लिम आतंक के वजह से , अपना सम्मान बचाने के लिए , केशरवानी समाज को कश्मीर छोड़ना पड़ा , क्योकि केशरवानी समाज कश्मीर में केशर की खेती और व्यापार करते थे , कश्मीर से निकाले जाने या निकलने के बाद , केशर की खेती का कार्य खत्म ( बन्द ) हो गया , क्योंकि हमारी जमीन पर दूसरे धर्म के लोगो ने कब्जा कर लिया था , इसलिए हम लोग अपने अनुभव के कारण केशर का व्यापार ( वाड़ी / वानी ) करने लगे , अन्य समाज लोग केशर के व्यापार के कारण हमें / हमारे समाज को केशरवानी वैश्य समझने लगे , इस प्रकार केशरवानी कश्मीर से निकलकर देश के दुसरे राज्यो में जाने लगे , जो जिस परिवार से जाता था , उसे एक चिन्ह दिया गया , उस चिन्ह को बान कहते है , समान बान का होना यह दर्शाता है , कि भविष्य में हम ( केशरवानी ) एक परिवार के रहे होंगे , और इसीलिए समान बान होने पर या एक बान होने पर आज भी केशरवानी परिवार में आपस मे शादी नही होती है , शादी होने के लिए दूसरा बान होना चाहिये , लेकिन हमारे कुलगोत्र सभी केशरवानी परिवार के भगवान महर्षि कश्यप जी ही है , यह हमारी संक्षिप्त पहचान है , विस्तृत वर्णन हमारी किताबो में संग्रहित है , यह बात मुझे ट्रेन में एक बुजुर्ग सम्मानित केशरवानी ने हमारा इतिहास बताया है , सो मैं जानता हूं , लोग ग्रुप में पूछ रहे है , कि केशरवानी कौन है / क्या होते है , किस समुदाय के है , बहुत से लोग हमें सर नेम के अन्त में वानी लिखने के कारण सिंधी समझते है , लेकिन न हम सिंधी है , न हमारा सिंध से को कोइ संबंध है , हम कश्मीरी पंडित ( ब्राम्हण ) है ,जो समाज मे व्यापार करने के कारण वैश्य समझा जाता है , क्योंकि उस समय कार्य के अनुसार वर्ण ( जाति ) का निर्धारण होता था , हम व्यापार करते है / थे इसलिए लोग हमें वैश्य समझते है / थे , हमारा संबंध कश्मीर से है , हम केशरवानी है , हमारे समाज मे कोई सर नेम गुप्ता / केसरी / केशरी / केसरवानी / केशरवानी / साह / चौधरी / आढ़तिया / केशर आदि आदि लिखते है*
{{nutshell|लेख बनने के बाद सारांश लिखा जायेगा।}}
 
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*आज देश / विदेश / समाज मे जो भी केशरवानी है , उन्हें वैश्य के रूप में समाज में लोग जानते हैं / मान्यता मिली हुई हैं , केशरवानी समाज के कुलगोत्र भगवान महर्षि कश्यप जी है ,*
'''विकिपीडिया पर आपका स्वागत है!'''
*धन्यवाद*