"जाँनिसार अख्तर": अवतरणों में अंतर

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'''जाँनिसार अख्तर''' ([[उर्दू]]: جان نثار اختر;[[अंग्रेजी]]:Jan Nisar Akhtar, 18 फ़रवरी 1914 – 19 अगस्त 1976) [[भारत]] से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण [[उर्दू]] शायर, गीतकार और कवि थे। वेअख्तर [[अखिलसाहब भारतीयने प्रगतिशीलअलीगढ़ लेखकमुस्लिम संघ|प्रगतिशीलयूनिवर्सिटी लेखकसे आंदोलन]]सन का1935-36 में उर्दू में गोल्ड मेडल लेकर एम. ए. किया था। 1947 केेेेेे देश विभाजन के पहले एक महत्वपूर्णग्वालियर हिस्साके थे।विक्टोरिया उन्होंनेकॉलेज हिंदीमें फिल्मोंउर्दू के लिएप्रोफेसर भीरहे गानेऔर लिखे.<ref>[http://books.google.com/books?id=8y8vN9A14nkC&pg=PT320&dq=Jan+Nissar+Akhtar&as_brr=0#v=onepage&q=Jan%20Nissar%20Akhtar&f=falseफिर Janसन Nisar1956 Akhtar]तक ''Encyclopaediaभोपाल ofकेे Hindiहमीदिया cinema''कॉलेज में उर्दू विभाग के अध्यक्षष पद पर रहे। उनका मानना था कि आदमी जिस्म से नहीं दिलों दिमाग से बुड्ढा होता है। पति पत्नी के नाम पर उनके द्वारा अनेक रुवारयां लिखी गई। सन 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजेेेेे गए अख्तर साहब के लिखे फिल्म अनारकली, byनूरी, Gulzarप्रेम पर्वत, Govindरजिया Nihalaniसुल्तान, Saibalबाप Chatterjeeरे (Encyclopaediaबाप Britannica,आदि India).फिल्म Popularके Prakashan,गीतों 2003.ने ISBN 8179910660.धूम ''p.मचा 296''.</ref>दी थी।
 
 
 
उनका मानना था कि आदमी जिस्म से नहीं दिलों दिमाग से बुड्ढा होता है। पति पत्नी के नाम पर उनके द्वारा अनेक रुवारयां लिखी ग <ref>[http://books.google.com/books?id=8y8vN9A14nkC&pg=PT320&dq=Jan+Nissar+Akhtar&as_brr=0#v=onepage&q=Jan%20Nissar%20Akhtar&f=false Jan Nisar Akhtar] ''Encyclopaedia of Hindi cinema'', by, Gulzar, Govind Nihalani, Saibal Chatterjee (Encyclopaedia Britannica, India). Popular Prakashan, 2003. ISBN 8179910660. ''p. 296''.</ref>
 
उनके सुपुत्र [[जावेद अख्तर]] ने भी शायरी की दुनिया में बहुत नाम कमाया।
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तरक्कीपसन्द शायरी को जिन शोअरा ने मालामाल किया उसमें एक नाम जाँनिसार अख्तर का भी है।
 
अख्तर साहब ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से सन 1935-36 में उर्दू में गोल्ड मेडल लेकर एम. ए. किया था। 1947 केेेेेे देश विभाजन के पहले एक ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में उर्दू के प्रोफेसर रहे और फिर सन 1956 तक भोपाल केे हमीदिया कॉलेज में उर्दू विभाग के अध्यक्षष पद पर रहे। उनका मानना था कि आदमी जिस्म से नहीं दिलों दिमाग से बुड्ढा होता है। पति पत्नी के नाम पर उनके द्वारा अनेक रुवारयां लिखी गई। सन 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजेेेेे गए अख्तर साहब के लिखे फिल्म अनारकली, नूरी, प्रेम पर्वत, रजिया सुल्तान, बाप रे बाप आदि फिल्म के गीतों ने धूम मचा दी थी।
 
उनका मानना था किदमी्जिस्म म से नहीं दिंलो दिमाग से बुड्ढा होता । हैउनके द्वारा प-पत्नी ी के प्रेम पअनेकारुवारयां ं लिखी ।
 
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