"केंद्रीय बैंक": अवतरणों में अंतर
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→सेन्ट्ल बैंकों के कार्य: भारत सरकार द्वारा ब्याज देने की निति से गरीबों के लिए दुखभरी जिन्दगी आदरणीय राष्ट्रिय नागरिक बन्धुओं ब्याज देने की गलत निति क्यों दुखदाई है गरीबों के लिए जानना जरुरी है भारत सरकार ने व्यापार पर आयकर टेक्स लगा रखा है जिसमे व्यापारियों को धन दोलत का दान देने को कहा गया है की आपको आय में टेक्स भरने में फायदा मिलेगा बेचारा व्यापारी 70साल से दान देकर यह परम्परा निभा रहा है इस दान के नियम से दान लेने वाले मालामाल हो रहे है व्यापारी मूल रकम बच नहीं रही है व्यापारी आप |
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केंद्रीय बैंक मुद्रा और ऋण की मात्रा पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए मुद्रा जारी करने का एकमात्र एकाधिकार दिया जाता है। इन नोटों कानूनी निविदा धन के रूप में देश भर में प्रसारित। यह सोने और यह द्वारा जारी किए गए नोटों के खिलाफ वैधानिक नियमों के अनुसार विदेशी प्रतिभूतियों के रूप में एक आरक्षित रखने के लिए है।
यह भारतीय रिजर्व बैंक के एक रुपये का नोट को छोड़कर [[भारत]] के सभी नोटों के जारी करता है कि ध्यान दिया जा सकता है। फिर, यह एक रुपये के नोट और छोटे सिक्के सरकार टकसालों से जारी किए गए हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के तहत है। एक देश की केंद्र सरकार ने केंद्रीय बैंक से पैसे उधार लेने के लिए आम तौर पर अधिकृत किया गया है, याद रखें। केंद्र सरकार के व्यय सरकारी राजस्व से अधिक है और सरकार अपने खर्च को कम करने में असमर्थ है, तो यह भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेता है। इस उद्देश्य के लिए नई करेंसी नोटों बनाता है जो आरबीआई के लिए सुरक्षा बिल की बिक्री से किया जाता है। इस बजट घाटा या घाटे की वित्त व्यवस्था के मुद्रीकरण कहा जाता है। सरकार नई मुद्रा खर्च करता है और अपने व्यय को पूरा करने के संचलन में डालता है।
'''भारत सरकार द्वारा ब्याज देने की निति से गरीबों के लिए दुखभरी जिन्दगी आदरणीय राष्ट्रिय नागरिक बन्धुओं ब्याज देने की गलत निति क्यों दुखदाई है गरीबों के लिए जानना जरुरी है भारत सरकार ने व्यापार पर आयकर टेक्स लगा रखा है जिसमे व्यापारियों को धन दोलत का दान देने को कहा गया है की आपको आय में टेक्स भरने में फायदा मिलेगा बेचारा व्यापारी 70साल से दान देकर यह परम्परा निभा रहा है इस दान के नियम से दान लेने वाले मालामाल हो रहे है व्यापारी मूल रकम बच नहीं रही है व्यापारी आपके व्यापार को वापिस मजबूत करने के लिए अपने बचे हुए कर्मचारियों का करा हुआ उत्पादन में जो दान दिया पैसा में भाग लगाकर उत्पाद का पैसा बढाना पड़ता है उदाहरण से समझना जरुरी मान लो की उत्पादन करता तेल का व्यापारी है उसने कोई दान दिया तो दान देते ही उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी तो दान देने से पहले उसके यहाँ 100युवा रोजगार थे व्यापारी मजबूरन 60यवा को बेरोजगार करेगा यह भारत में बेरोजगार 36%होती है हर 6महीने में विशेषकर हमारे देश को मजबूत करने वाले राजनेतिक दलों को समझना पडेगा क्योंकी जो दल केंद्र सरकार में सत्ताधिन होगा उसके खिलाफ चुनावों में 36%मत पड़ते है और 15%लोग जाते ही नहीं है अब ब्याज निति के बारे में समझना पडेगा भारत सरकार ई ब्याज निति यह की किसी भी तरह का बैंक खाता हो सबको समय अनुसार डबल कर दिया जाएगा अब यह भी समझना जरिरी है भारत में डबल रकम हो किसकी रही है दान लिया पैसा ब्याज मिलने के चलते कभी ख़त्म नहीं होगा बल्कि जिस बैंक में खाता है उस बैंक से ब्याज का ही केवल पैसा निकलते निकलते बैंक की स्थति दुसरे बाएँ खाता दारों के लिए दुखदायी होता है जैसे किसी बैंक का द्वालिया होते ही भारतीय सरकार के रिजर्व बैंक के अधीन हो जाना ही भारत की अर्थव्यवस्था बार बार मरती है देश हो क्या रहा है की अर्थव्यवस्था को जीवित करने के लिए जनता को उत्पाद का बढाया हुआ दाम देना पडेगा चाहे कूछ भी हो जाए राजनीती में अब समझना जरुरी है दान लेता कोण है तो अपने क्षेत्र के किसी भी वकील साब,सीए साब,अकाउन्टेन्ट साब से मालुम कर सकते है अब समझना जरुरी है की भारत में मूल पैसा किसका नहीं हो रहा 1. 50 हजार से अधिक मासिक नोकरी करने वाला 2. कोई व्यापारी ख्याति प्राप्त है तो उसने ट्रस्ट बना सहारा ले रक्खा है मूल बचाने के लिए 3. शासन करता की भरकम दोलत का ब्याज बैंको से निकलना ही मूल रकम का बचना है 5. शासन में 50हजार से अधिक सरकारी कर्मचारियों का ब्याज से ही घर का खर्च चलना ही मूल रकम का बचना है 6. व्यक्तिगत पेशे से अनगिनत फ़ीस के बैंकों में जमा का ब्याज निकलवा घर खर्च में धन इस्तेमाल करना ही मूल धन का बचना है 7. करोड़ों रूपये का दान लेकर बैंको में बना हुआ ब्याज को निकालते रहना भी भारत सरकार के लिए विकास रकम बचना मुश्किल है 8. बैंको की आर्थिक हालत खराब होना ब्याज के रूप में कर्ज चुकाना ही है अब उपाय यही है की महीने के 35हजार से अधिक महीने वेतन लेने वालों की मूल रकम अर्थव्यवस्था में लगाने के लिए भारत सरकार ब्याज देना बंद करें दुसरा दान लिए हुए धन रकम पर ब्याज देना बंद करावे तीसरा दलों को जितने के लिए ब्याज बंद कारावे चौथा व्यापारिक खातों व गरीब नागरिक के खातों में ब्याज देवे तो कर्ज लेने की जरुरत नहीं तो देश में किसान देव को फंखे के लटककर मरने की जरुरत नहीं आपको ध्यान देना होगा समझना होगा की दान लेने वाले गरीबी हटा नहीं सकते जो कागजों में दान रकम लेने का समर्थन करते है तो कभी गरीबी नहीं हटा सकते देश खराब अर्थव्यवस्था इसलिए हो गयी की अंग्रेजों ने भारत पर 1862 में व्यापारियों पर आयकर लगाया वो ही कानून हमारे राज करने वालों ने मान लिया इस कानून से भारत को कभी लाभ नहीं हुआ बल्कि भारतीय संस्कृति का भी पतन की साजिस हुई '''
२) '''सरकार को बैंकर'''
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