"कबीर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Sant-kabir-math-lahartara.jpg|अंगूठाकार|लहरतरब प्रगट्या स्थल]]
कबीर के (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी) जन्म स्थान के बारे में विद्वानों में मतभेद है परन्तु अधिकतर विद्वान इनका जन्म काशी में ही मानते हैं, जिसकी पुष्टि स्वयं कबीर का यह कथन भी करता है।
:"'''काशी में परगट भये ,रामानंद चेताये''' "
कबीर के गुरु के सम्बन्ध में प्रचलित कथन है कि कबीर को उपयुक्त गुरु की तलाश थी। वह वैष्णव संत आचार्य रामानंद को अपना अपना गुरु बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने कबीर को शिष्य बनाने से मना कर
: '''काशी में परगट भये , रामानंद चेताये'''
जीविकोपार्जन के लिए कबीर जुलाहे का काम करते थे।
कबीर की दृढ़ मान्यता थी कि कर्मों के अनुसार ही गति मिलती है स्थान विशेष के कारण नहीं। अपनी इस मान्यता को सिद्ध करने के लिए अंत समय में वह मगहर चले गए ; क्योंकि लोगों की मान्यता थी कि काशी में मरने पर स्वर्ग और मगहर में मरने पर नरक मिलता
==भाषा==
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