"हिजरत": अवतरणों में अंतर

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'''हिज्राह''' या '''[https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html हिजरत]''' ('''Hegira''' or '''Hijrah''' ({{lang-ar|{{linktext|هِجْرَة}}}}) हज़रत [[मुहम्मद]] का अपने अनुयाइयों (सहाबा) के साथ, शहर [[मक्का]] से शहर [[मदीना]] जिस का पुराना नाम [[यस्रिब]] था, को सन ६२२ ई में प्रवास है। <ref name=FazlurRehman51/> In June 622 ई में, शहर मक्का में हज़रत मुहम्मद को पता चला कि उनकी हत्या का प्रयास किया जारहा है, इस सन्दर्भ में, शहर मक्का छोड़ कर यस्रिब (मदीना) प्रवास किये। इनके साथ इनके दोस्त और सहाबी [[अबू बक्र]] भी थे। <ref>Moojan Momen (1985), ''An Introduction to Shi'i Islam: History and Doctrines of Twelver Shi'ism'', Yale University Press, New edition 1987, p. 5.</ref> यस्रिब को 'मदीनत-अन-नबी' का नाम दिया गया। अर्थात प्रेशित का नगर। बाद में अन-नबी बोलना कम होगया, सिर्फ मदीना कहलाने लगा। मदीना क मतलब "शहर" है। <ref name=Shamsi>F. A. Shamsi, "The Date of Hijrah", ''Islamic Studies'' '''23''' (1984): 189-224, 289-323 ([http://www.jstor.org/stable/20847270 JSTOR link 1] + [http://www.jstor.org/stable/20847277 JSTOR link 2]).</ref>
[https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html हिजरत के समय मदिना के हालत:]
'''हिज्राह''' या '''[https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html हिजरत]''' ('''Hegira''' or '''Hijrah''' ({{lang-ar|{{linktext|هِجْرَة}}}}) हज़रत [[मुहम्मद]] का अपने अनुयाइयों (सहाबा) के साथ, शहर [[मक्का]] से शहर [[मदीना]] जिस का पुराना नाम [[यस्रिब]] था, को सन ६२२ ई में प्रवास है। <ref name=FazlurRehman51/> In June 622 ई में, शहर मक्का में हज़रत मुहम्मद को पता चला कि उनकी हत्या का प्रयास किया जारहा है, इस सन्दर्भ में, शहर मक्का छोड़ कर यस्रिब (मदीना) प्रवास किये। इनके साथ इनके दोस्त और सहाबी [[अबू बक्र]] भी थे। <ref>Moojan Momen (1985), ''An Introduction to Shi'i Islam: History and Doctrines of Twelver Shi'ism'', Yale University Press, New edition 1987, p. 5.</ref> यस्रिब को 'मदीनत-अन-नबी' का नाम दिया गया। अर्थात प्रेशित का नगर। बाद में अन-नबी बोलना कम होगया, सिर्फ मदीना कहलाने लगा। मदीना क मतलब "शहर" है। <ref name=Shamsi>F. A. Shamsi, "The Date of Hijrah", ''Islamic Studies'' '''23''' (1984): 189-224, 289-323 ([http://www.jstor.org/stable/20847270 JSTOR link 1] + [http://www.jstor.org/stable/20847277 JSTOR link 2]).</ref>
 
[[हिजरी]] और हिज्राह में अंतर है, अक्सर यह दोनों शब्दों को लेकर एक ही शब्द समझ जाते हैम, जब कि ऐसा नहीं है, दोनों अलग अलग शब्द हैं। हिज्री इस्लामी केलंडर है तो हिज्रत हज़रत मुहम्मद का मदीना को सफ़र करना है।
 
== [https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html पहली हिजरत] ==
मुसलमानों का पहला प्रवास 615<ref>{{cite book|url= https://books.google.com/books?id=2pwuAh0ujPMC&pg=PA30|title= Muslim Travellers: Pilgrimage, Migration and the Religious Imagination|author= Dale F. Eickelman|publisher= [[University of California Press]]|year= 1990|page= 30|isbn= 978-0-520-07252-7}}</ref><ref>{{cite book|url= https://books.google.com/books?id=KlNHBQAAQBAJ&pg=PA15|title= Theology of Migration in the Abrahamic Religions|author= Elaine Padilla, [[Peter C. Phan]] (editors)|publisher= [[Palgrave Macmillan]]|year= 2014|page= 15|isbn= 978-1-137-00104-7}}</ref> या रजब (सितंबर-अक्तूबर) 613<ref>Fazlur Rehman Shaikh (2001). ''Chronology of Prophetic Events''. London: Ta-Ha Publishers Ltd. pp. 91</ref> को हज़रत मुहम्मद ने अपने अनुयाइयों से कहा कि मक्का के लोग मुसलमानों को सताने लगे हैं, मक्का में दिन दूभर होगये हैं, इस लिये इथियोपिया के नेगस जो ईसाई धर्म का मानने वाला सच्चा ईसाई है, वह एकेश्वरोपासकों की क़द्र करता है, वहां चले जायें। तब अनुयाई अबिसीनिया गये। लैकिन मक्का वाले इथियोपिया के बादशाह के पास जाकर मुसलमानों को उनके हवाले करने को कहा। लैकिन राजा नहीं माना, और मुसलमानों को वहीं रहने की इजाज़त दे दी। <ref>{{cite book|url= https://books.google.com/books?id=61elBgAAQBAJ&pg=PA55|title= Islam, Christianity and the Mystic Journey: A Comparative Exploration|author= Ian Richard Netton|publisher= [[Edinburgh University Press]]|year= 2011|page= 55|isbn= 978-0-7486-4082-9}}</ref>
 
== [https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html मुहम्मद की हिजरत] (प्रवास) ==
नगर मक्का था, 620 ई तीर्थयात्रा का मौसम था, मदीना से आये "बनू खज़्रज" के छ्ः लोगों से मुलाक़ात की, उन्हे इस्लाम के बारे में बताय और क़ुरान के चंद आयात पढ कर सुनाया<ref>{{cite book |last=Sell |first=Edward |authorlink=Edward Sell (priest) |title=The Life of Muhammad |url=http://www.muhammadanism.org/Canon_Sell/muhammad/life_muhammad.pdf |accessdate=19 January 2013 |year=1913 |publisher=The Christian Literary Society for India. |location=[[Madras]] |page=70}}</ref><ref>{{cite book |last=Holt |first=P. M. |author1link=P. M. Holt |last2=Lambton |first2=Ann K. S. |last3=Lewis |first3=Bernard |author3link=Bernard Lewis |title=The Cambridge History of Islam |year=2000 | publisher=[[Cambridge University Press]] | isbn=978-0-521-21946-4 |page=39}}</ref> इन बातों से खुश होकर उन्होंने इस्लाम क़बूल किया।<ref name="Shibli1">[[Shibli Nomani]]. [[Sirat-un-Nabi]]. Vol 1. [[Lahore]].</ref> और 621 ई मे, उन में से पांच लोग अपने साथ सात लोगों को लाये। यह बारह ने हज़रत मुहम्मद को बताया कि शहर मदीना में इसलाम फैल रहा है, और प्रतिग्या की कि वह मुहम्मद को प्रेशित मानते हैं, तोहीद पर विश्वास लाते है, और बुराइयां जैसे चोरी, व्यभिचार और क़त्ल से दूर रहेंगे। इस प्रतिग्या को "अक़बा का पहला प्रतिग्या" कहते हैं।<ref>Khan (1980), p.70.</ref><ref>Holt, Lambton, and Lewis (2000), p. 40.</ref><ref>Sell (1913), p. 71.</ref> इन की दरख्वास्त पर हजरत मुहम्मद ने "मुसाब इब्न उमैर" को मदीना भेजा कि मदीने वालों को इसलाम का पाठ पढायें। मदीना में लोग इसलाम के छाते तले आये।
 
अगली साल 622 ई के तीर्थयात्रा में, मदीना से बनू आस और खजरज जाती के 75 मुसलमान मक्का आए और हजरत मुहम्मद को अपना साथ दिया, और मदीना आने पर संपूरण सहयोग का आश्वासन दिया। मदीना के विभिन्न जातियों के दरमियान झगडों को दूर करने के लिये दूत के रूप आने का निमंत्रण भी दिया। <ref>{{cite book |last=Hitti |first=Philip Khuri |authorlink=Philip Khuri Hitti |title=[[History of the Arabs (book)|History of the Arabs]] |year=1946 |publisher=Macmillan and Co. |location=[[London]] |isbn= |page=116}}</ref> इस को अल-अक़बह का अहद कहते हैं <ref name="Holt, et al 2000, p. 40">Holt, et al (2000), p. 40.</ref><ref>Khan (1980), p. 73.</ref> यह एक राजनीती व धार्मिक कामियाबी थी जो नबी को और उनके अनुयाइयों को मदीना हिजरत करने का मौका मिला। <ref>Sell (1913), p. 76.</ref> इन अहदों के बाद, मुहम्मद ने अपने अनुयायियों को प्रोत्साहित किया कि वह मदीना जाएँ, और दो महीनों के अंतर में सारे मुसलमान मक्का से मदीना जाएँ।
 
== [https://www.dinyeislam.com/2020/02/hizarat-ke-samay-madine-ke-haalat.html हिजरत की काल पट्टी] ==
मुसल्मानों का नया साल या [[इस्लामी कैलेंडर]] जिसे "हिजरी तकवीम" भी कहते है, इसको हजरत [[उमर इब्न खत्ताब|उमर]] ने 638 or 17&nbsp;AH में शुरू किया। यह हिज्री शका माना जाने लगा। <ref name=Shamsi/> नीचे दिये गए काल पट्टी में, हजरत मुहम्मद की जीवन काल के हिजरत के बारे में फजलुर्रह्मान शेख और एफ ए शम्सी ने लिखा है।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हिजरत" से प्राप्त