"अंग तंत्र": अवतरणों में अंतर

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* पेशियों को संलग्न तथा शरीर को गति प्रदान करना।
 
अस्थि कोशिकाओं से निर्मित ऊतक से अस्थियाँ बनती हैं। अस्थियों द्वारा रुधिरकणों का निर्माण भी होता है। हमारे शरीर में कुल मिलाकर 206 अस्थियाँ होती हैं, जो इस प्रकार हैं : <nowiki>[[खोपड़ी]]</nowiki> में 29( हालोइड अस्थि 1 + श्रोत अस्थिका 6+चेहरे में 14 तथा कपाल में 8 ) अस्थियाँ, रीढ़ में 26 अस्थियाँ - 33 कशेरुक, ( इनमें से क्रमसेक्रम 5 कशेरुक से मिलकर तथा काकिसक्सकडल 4 कशेरुक से मिलकर बनता है। यदि इन्हें 1-1 माना जाए, तो कुल अस्थियाँ 26 ही होंगी), वक्ष तथा पर्शुकाओं, में 25 अस्थियाँ, (ऊर्ध्व शाखा) बाहु आदि में 64, अध: शाखा (जांघ आदि) में 62 अस्थियाँ, हालोइड अस्थि 1 तथा श्रोत अस्थिका 6।अस्थियाँ। लंबी नलिकाकार अस्थियों में मज्जा होती है, जो रुधिर कण बनाती है। ऐक्सकिरण से देखने पर अस्थियाँ अपारदर्शक होती हैं।
 
== संधि तंत्र ==
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* स्नेहक संधि (synovial joints)।
 
तांतव संधि - इसके उदाहरण कपाल संधियाँ, दाँत के उलूखल तथा जंघिकांतर संधि ( '''''tibiofibular''''' joint)।
 
उपस्थि संधि - यह दो प्रकार की होती है। इसमें अल्पगति होती है, जैसे भगास्थि संधि।
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*[[हृदयपेशी]] (cardiac)।
 
ऐच्छिक पेशियाँ, अस्थियों पर संलग्न होती हैं तथा संधियों पर गति प्रदान करती है। पेशियाँ नाना प्रकार की होती हैं तथा कंडरा (tendon) या वितान (aponeurosisAponeurosis) बनाती हैं। तंत्रिका तंत्र के द्वारा ये कार्य के लिए प्रेरित की जाती हैं। पेशियों का पोषण रुधिरवाहिकाओं के द्वारा होता है। शरीर में प्राय: 500 पेशियाँ होती हैं। ये शरीर को सुंदर, सुडौल, कार्यशील बनाती हैं। इनका गुण संकुचन एवं प्रसार करना है। कार्यों के अनुसार इनके नामकरण किए गए हैं। शरीर के विभिन्न कार्य पेशियों द्वारा होते हैं। कुछ पेशी समूह एक दूसरे के विरुद्ध भी कार्य करते हैं जैसे एक पेशी समूह हाथ को ऊपर उठाता है, तो दूसरा पेशी समूह हाथ को नीचे करता है, अर्थात् एक समूह संकुचित होता है, तो दूसरा विस्तृत होता है।
 
पेशियाँ सदैव स्फूर्तिमय (toned) रहती हैं। मृत व्यक्ति में [[पेशी]] रस के जमने से पेशियाँ कड़ी हो जाती हैं। मांसवर्धक पदार्थ खाने से, उचित व्यायाम से, ये शक्तिशाली होती हैं। कार्यरत होने पर इनमें थकावट आती है तथा आराम एवं पोषण से पुन: सामान्य हो जाती हैं।