"चितपावन": अवतरणों में अंतर
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छठी-सातवीं सदी के आस-पास [[बिहार]] से भूमिहारों का एक जत्था चलकर महाराष्ट्र के [[कोंकण]] में जा बसा और आगे चलकर यही चितपावन कहलाए ।
पुनः 13 वीं सदी के आस-पास कोंकण के चितपावनों का एक जत्था वहाँ से निकल कर अविभाजित बिहार के दक्षिणी हिस्सों में  जा बसे और आज वे भूमिहार के नाम से जाने जाते हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें ही चितपौनिया भूमिहार कहा
==सन्दर्भ==
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