"तुलू भाषा": अवतरणों में अंतर

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== कृतियाँ ==
[[उडुपी जिला|उडुपि]] जिले के एक [[ब्राह्मण]] ने तुळुतुलु लिपि का प्रयोग करके 'भागवत' नाम का एक ग्रन्थ की रचना की है। कवि [[मन्दार केशव भट]] ने 'मन्दार रामायण' नाम का एक आधुनिक [[महाकाव्य]] लिखा है।
 
== तुलू की शैलियाँ ==
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कुछ पुरानी मलयालम कृतियों के अनुसार जो क्षेत्र [[कासरगोड जिला|कासरगोड]] के चन्द्रगिरी नदी से लेकर [[उत्तर कन्नड़ जिला|उत्तर कन्नड]] के गोकर्ण तक व्यापित है वो तुलुनाडु नाम से जानाजाता था। पर आज का तुलुनाडु [[दक्षिण कन्नड जिला|दक्षिण कन्नड़]] और [[उडुपी जिला|उडुपी]] जिलों तक ही सीमित है। फिर भी केरल के [[कासरगोड]] तथा [[महाराष्ट्र]] के [[मुम्बई]] और [[ठाणे जिला|थाने]] में तुलू बोलनेवाले बहुत लोग पाये जाते हैं।
 
== तुळुतुलु लिपि ==
प्राचीनकाल में तुळुभाषातुलुभाषा की अपनी स्वत: की एक विशेष लिपी हुआ करती थी। परंतु आज इस लिपि को जाननेवाले लोग बहुत कम हैं। ऐसे कहते हैं, की प्राचीन तुळुलिपितुलुलिपि से आज की [[मलयालम लिपि]] का विकास हुआ हैं। प्राचीन तुळुलिपीतुलुलिपी और अर्वाचीन मलयालम लिपि बहुत मिलती-जुलती हैं।
 
== सन्दर्भ ==