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सरला देवी (19 अगस्त 1904 - 4 अक्टूबर 1986) एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, नारीवादी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और लेखिका थीं। वह 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाली पहली ओडिया महिला थीं। वह 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा विधानसभा के लिए चुनी जाने वाली पहली महिला बनीं। वह ओडिशा विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष, कटक सहकारी बैंक की पहली महिला निदेशक, उत्कल विश्वविद्यालय की पहली महिला सीनेट सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली ओडिया महिला प्रतिनिधि भी थीं । राष्ट्रपति डॉ। एस। राधाकृष्णन के शिक्षा आयोग में वह ओडिशा की एकमात्र प्रतिनिधि थीं।

Sarala Devi
जन्म 19 अगस्त 1904
Narilo village, Orissa Division, Bengal Presidency, British India
मौत 4 अक्टूबर 1986(1986-10-04) (उम्र 82)
राष्ट्रीयता Indian
गृह-नगर Cuttack
राजनैतिक पार्टी Indian National Congress
जीवनसाथी Bhagirathi Mohapatra
(वि॰ 1917)
बच्चे 1 son
संबंधी Balamukunda Kanungo (uncle); Nirmala Devi, poet (sister); Rai Bahadur Durga Charan Das (brother-in-law); Nityanand Kanungo (brother); Bidhu Bhusan Das (nephew)
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

सरला देवी का जन्म 19 अगस्त 1904 को बालिकोड़ा के पास नारिलो गाँव में हुआ था, जो उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी के उड़ीसा डिवीजन (अब जगतसिंहपुर जिले, ओडिशा ) में एक बहुत ही धनी, कुलीन जमींदार परिवार में था। उनके पिता दीवान बासुदेव कानूनगो थे, और उनकी माँ पद्मावती देवी थीं। वह अपने पिता के बड़े भाई, बालमुकुंद कानूनगो, एक डिप्टी कलेक्टर द्वारा गोद लिया और उठाया गया था। [1] [2] [3] [4] [5] [6] सरला ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बांकी में प्राप्त की, जहाँ उनके चाचा तैनात थे। उस समय महिलाओं की उच्च शिक्षा तक कोई पहुंच नहीं थी, इसलिए उनके चाचा ने होम ट्यूटर की सेवाएं लीं। सरला ने अपने ट्यूटर से बंगाली, संस्कृत, ओडिया और अंग्रेजी भाषा सीखी। वह 13 साल की उम्र तक अपने चाचा के साथ रहती थी। बांकी में रहते हुए, सरला देवी, बांकी की रानी, सुक्का देवी की कहानियों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं। उन्होने भारत की आजादी की लड़ाई के लिए गहने और अचल संपत्ति के विशाल पथ के अपने विशाल संग्रह का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया। उन्होंने 1917 में जाने-माने वकील भागीरथी महापात्रा से शादी की और बाद में 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं। 1921 में महात्मा गांधी की पहली उड़ीसा यात्रा के बाद सरला स्वयं कांग्रेस में शामिल हो गईं। वह महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, दुर्गाबाई देशमुख, आचार्य कृपलानी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय और सरोजिनी नायडू के बहुत करीब थीं। [7]

वह कटक में 1943 से 1946 तक उत्कल साहित्य समाज के सचिव थे। [8]

सरला देवी ने 30 किताबें और 300 निबंध लिखे। [9] [10]

संदर्भ

  1. "Sarala Devi: A centenary tribute". The Hindu. 7 November 2004. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  2. Mohanty, Sachidananda. "Sarala Devi: The Biplababi of Orissa" (PDF). Manushi. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  3. Mohanty, Sachidananda. "Sarala Devi: The Biplababi of Orissa" (PDF). Manushi. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  4. Jena, Bijaya Lakhmi (January 2014). "Sarala Devi, An Inspiration for Women" (PDF). Government of Odisha. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  5. Prabhukalyan, Mohapatra (January 2008). "Oriya Women in National Movement" (PDF). Government of Odisha. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  6. Dhyanimudra, Kanungo (August 2014). "Sarala Devi as a Freedom Fighter" (PDF). Government of Odisha. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  7. Giri, Pradeep Kumar (August 2016). "The Role of Odia Women in Salt Satyagraha : Sarala Devi" (PDF). Government of Orissa. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  8. Ratha, Prabodha Kumar (August 2013). "Sarala Devi : the Socio-Political Reformer of Odisha" (PDF). Government of Odisha. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  9. Dasgupta, Sanjukta (30 October 2016). "More than just 'presiding deities in their kitchen'". The Statesman. अभिगमन तिथि 18 December 2016.
  10. Mohanty, Sachidanandan (7 December 2004). Early Women's Writings in Orissa, 1898-1950: A Lost Tradition (अंग्रेज़ी में). SAGE Publications India. पृ॰ 151. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788132101956. अभिगमन तिथि 18 December 2016.

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