"नास्तिकता": अवतरणों में अंतर

जो व्यक्ति खुद में यकीन नहीं करता, वह नास्तिक है।
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1882 और 1888 के बीच, मद्रास सेकुलर सोसाइटी ने मद्रास से द थिचर (तमिल में तट्टूविवेसिनी) नामक पत्रिका प्रकाशित की। पत्रिका ने अज्ञात लेखकों द्वारा लिखे गए लेख और लंदन सेकुलर सोसाइटी के जर्नल से पुनर्प्रकाशित आलेखों को लिखा, जो मद्रास सेक्युलर सोसाइटी को खुद से संबद्ध माना जाता था
====20 वीं सदी====
[https://www.nastik.in/p/who-is-atheist.html विवेकानंद (1863-1902) ने एक अलग संकल्पना दी। उन्होंने कहा जो व्यक्ति खुद में यकीन नहीं करता, वह नास्तिक है। उनके लिए ईश्वर में यकीन करना अथवा नहीं करना ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं था, पर खुद में यकीन करना ज़रूरी था।]
 
पेरियार ई। वी। रामसामी (1879-1973) स्व-सम्मान आंदोलन के एक नास्तिक और बुद्धिवादी नेता और द्रविड़ कज़गम थे। असंबद्धता पर उनके विचार जाति व्यवस्था के उन्मूलन पर आधारित हैं, जाति व्यवस्था के विस्मरण को प्राप्त करने के लिए धर्म को वंचित होना चाहिए।