"कुम्भलगढ़ दुर्ग": अवतरणों में अंतर

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: ''संवली मत दे साजना, बसुंज, कुम्भल्मेर॥
 
*👉 इस किले की ऊँचाई के संबंध में [[अबुल फजल]] ने लिखा है कि "यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर की तरफ देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है।"
 
कर्नल 👉कर्नल [[जेम्स टॉड]] ने दुर्भेद्य स्वरूप की दृष्टि से चित्तौड़ के बाद इस दुर्ग को रखा है तथा इस दुर्ग की तुलना (सुदृढ़ प्राचीर, बुर्जों तथा कंगूरों के कारण) 'एट्रस्कन' से की है।
 
== किले का स्थापत्य व अन्य स्थल ==