"ककड़ी": अवतरणों में अंतर

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'''ककड़ी''' ([[द्विपद नामपद्धति|वैज्ञानिक नाम]]: ''कुकुमिस मेलो वैराइटी यूटिलिसिमय'' / ''Cucumis melo var. utilissimus'') [[ज़ायद की फ़सल|ज़ायद]] की एक प्रमुख फसल है। इसको [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में 'कर्कटी' तथा [[मारवाडी भाषा]] में वालम काकरी कहा जाता है। यह "[[ककड़ी वंश (कुकुरबिटेसी)|कुकुरबिटेसी]]" (Cucurbitaceae) वंश के अंतर्गत आती है।
 
विश्वास किया जाता है कि '''ककड़ी''' की उत्पत्ति [[भारत]] से हुई। इसकी खेती की रीति बिलकुल [[तरोई]] के समान है, केवल उसके बोने के समय में अंतर है। यदि भूमि पूर्वी जिलों में हो, जहाँ शीत ऋतु अधिक कड़ी नहीं होती, तो अक्टूबर के मध्य में बीज बोए जा सकते हैं, नहीं तो इसे जनवरी में बोना चाहिए। ऐसे स्थानों में जहाँ सर्दी अधिक पड़ती हैं, इसे फरवरी और मार्च के महीनों में लगाना चाहिए। इसकी फसल बलुई दुमट भूमियों से अच्छी होती है। इस फसल की सिंचाई सप्ताह में दो बार करनी चाहिए। ककड़ी में सबसे अच्छी सुगंध गरम शुष्क जलवायु में आती है। इसमें दो मुख्य जातियाँ होती हैं - एक में हलके हरे रंग के फल होते हैं तथा दूसरी में गहरे हरे रंग के। इनमें पहली को ही लोग पसंद करते हैं। ग्राहकों की पसंद के अनुसार फलों की चुनाई तरुणावस्था में अथवा इसके बाद करनी चाहिए। इसकी माध्य उपज लगभग ७५ मन प्रति एकड़ है।
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==चित्रावली==
<gallery mode="packed">
File:Cucumis melo 1 (Piotr Kuczynski).jpg| [[ख़रबूज़ा|खरबूजा]]
File:03-05-JPN202.jpg|जापानी खरबूज
File:Squeredmelon inside001.jpg|'चौकोर खरबूज'
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== इन्हें भी देखें ==
* [[खीरा]]
* [[ख़रबूज़ा|खरबूजा]]
* [[तरबूज़|तरबूज]]
* [[रबी की फ़सल|रबी की फसल]]
* [[ख़रीफ़ की फ़सल|खरीफ की फसल]]
* [[ज़ायद की फ़सल|ज़ायद की फसल]]
 
[[श्रेणी:ज़ायद की फसल]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ककड़ी" से प्राप्त